बर्लिन में कहानीकार इस्मत चगताई और राजेंद्र सिंह बेदी की जन्म शताब्दी पर उर्दू अंजुमन का आयोजन

रिपोर्ट। आरिफ नकवी

बर्लिनरू 31 मई को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में पालास ;महलद्ध में उर्दू संगठन द्वारा महान कहानीकार इस्मत चगताई और राजेंद्र सिंह बेदी की जन्म शताब्दी के सन्दर्भ  में एक बड़ा आयोजन किया गयाद्य

आयोजन में लखनऊ से डॉ अम्मार रिजवी  विशेष अतिथि के रूप में पधारे थे जिन्होंने बाद में मुशायरा की अध्यक्षता भी की। इनके अलावा पाकिस्तान और ब्रिटेन की शायरा फरज़ाना फरहत और फरखुन्दा रिज़वी और कई जर्मनए हिन्दीए पंजाबीए बंगाली उर्दू प्रेमियों ने इस समारोह में भाग लियाद्य

कार्यक्रम  में इस्मत चुगताई और राजेंद्र सिंह बेदी की रचनाओं में मानवतावाद और प्रगतिशीलता और उनकी कहानी लेखन की कला की महानता के विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने अपनी राय देते उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और  इन दोनों लेखकों पर एक वृत्तचित्र दिखाते हुए उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गयाद्य कार्यक्रम का शुभारम्भ बंगाली मुग़नी धीरज रायने अपनी सुंदर आवाज में उर्दू गीत पेश करते हुए किया।

इसके बाद उर्दू अंजुमन के अध्यक्ष आरिफ नकवी ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि डॉ अम्मार रिज़वी ने हमेशा उर्दू भाषा व साहित्य के विकास के लिए काफी योगदान दिया है। वह न केवल वर्षों उत्तर प्रदेश के मंत्री और दो बार एक्टिंग चीफ मिनिस्टर रहे बल्कि उनके प्रयासों से विधानसभा में उर्दू भाषा को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव भी पास किया गया और उनके मंत्री होने के ज़माने में उर्दू के तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई । वह महमूदाबाद में मौलाना आजाद विज्ञान संस्थान स्थापित करकेए जो अब विश्वविद्यालय बनने जा रहा है जबरदस्त सेवा दे रहे हैंद्य आरिफ नकवी ने पाकिस्तान और इंग्लैंड की शायरा फरज़ाना फरहत और फरखुन्दा रिज़वी और समारोह मेंए जर्मनए पंजाबीए बंगाली और अन्य भाषाओं के उर्दू भाषा और साहित्य के प्रेमियों का भी स्वागत किया ।

इसके बाद सारा जहीर की तैयार की हुई दो लघु वृत्तचित्र फिल्में इस्मत चुगताई और राजेंद्र सिंह बेदी पर दिखाई गईं। और डॉ इशरत मुइन सीमा और कलाकार इरशाद पंज्तन ने इस्मत चुगताई और राजेंद्र सिंह बेदी की कला और व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किए।

डॉ अम्मार रिजवी ने उर्दू अंजुमन बर्लिन के अध्यक्ष आरिफ नकवी और अन्य सदस्यों के उर्दू के लिए किये गए काम का शुक्रिया अदा किया और इस बात पर खुशी जताई  कि इतनी बड़ी संख्या में लोग इस समारोह में शरीक हैं। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि उर्दू भाषा की सुंदरता सारी दुनिया में उसकी लोकप्रियता को बढ़ा रही है। जरूरत इस बात की है कि भाषा को बढ़ावा देने के लिए कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाए।

अम्मार साहब ने कहा कि उर्दू भाषा के विकास में जर्मनी का भी योगदान रहा है। क्योंकि हमारे साहित्य के विकास स्थलों में उर्दू शेर व सुख़न को विचारों की दृष्टि से बुलंदियों पर पहुंचाने वाली व्यक्ति अल्लामा इकबाल का मानसिक व वैचारिक प्रशिक्षण इसी धरती पर हुआ है द्य

भारत के राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ ज़ाकिर हुसैन इसी धरती से लाभान्वित हुएद्य डॉ अम्मार रिजवी ने उर्दू अंजुमन  बर्लिन को दावत दी कि उसका एक सत्र लखनऊ की धरती पर किया जाए। उर्दू अंजुमन के सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार किया।

राजेंद्र सिंह बेदी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अम्मार रिजवी ने कहा कि बेदी ने अपने कहानियों का ताना बाना जीवन के कटु तथ्यों से बना है। लेकिन उनके यहां तल्खी या बेज़ारी नहीं मिलती वह जीवन के अंधेरी दिशाओं में प्यारए सहानुभूति और मानवता की किरण देखते हैं। इस्मत चुगताई को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि  इस्मत का  गद्य अपने अंदर बेसाखतगी और तीखेपन  के अलावा रचनात्मक गुण रखती है। अम्मार साहब के भाषण का जर्मन भाषा में अनुवाद उर्दू अंजुमन  के सचिव उदय फ़ाइलबाख़ ने पढ़कर सुनाया।

इशरत मुइन सीमा ने इस्मत चुगताई के अफ्सान्वी फन ए विशेष रूप से महिलाओं के मुद्दों पर उनके लेखों के हवाले दिए। अभिनेता इरशाद पंजतन ने बेदी और इस्मत चुगताई के साथ अपनी बैठकों का उल्लेख करते हुए बेदी के कई चुटकुले सुनाए।

सभा में आरिफ नकवी की कैरम के इतिहास से संबंधित उर्दू और अंग्रेजी किताबों और डॉ इशरत मुइन सीमा के सफरनामे इटली की जानिक गामज़न का विमोचन भी किया गया । अनवर जहीर रहबर ने आरिफ नकवी की पुस्तकों पर लेख पढ़ा जबकि डॉक्टर इशरत मुइन  सीमा की किताब पर आरिफ नकवी ने टिप्पणी की। जिसका जर्मन अनुवाद सारा जहीर ने पेश किया।

कार्यक्रम  में पंजाबी भाषा के एक टीवी चैनल के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और उर्दू भाषा व साहित्य की सराहना की तथा अपने सहयोग का आश्वासन दिया।

पहले दौर की समाप्ति अकमल लतीफ और आसिफ खान ने उर्दू की क्लासिकल ग़ज़लें और गीत पेश करते हुए कीद्य जिन्हें  लोगों ने बार बार फरमाइशें करके सुना।

इसके बाद डॉ अम्मार रिजवी की अध्यक्षता में महफ़िल मुशायरा का शुभारम्भ हुआ जिसमें उर्दू शायरों के अलावा हिंदीए पंजाबी और बंगाली शायरों ने भी ग़ज़लें और नज्में पेश कींद्य जिनमें  फरखुन्दा रिज़वीए फरज़ाना फरहतए सुशीला शर्माए अनवर जहीर रहबरए इशरत मुइन सीमा और आरिफ नकवी आदि शामिल थे। मुशायरे का संचालन श्रीमती नायाब  ख्वाजा और श्रीमती जारिया ने खूबी से किया।

पहली जून का दिन डॉ अम्मार रिजवी ने बर्लिन के ऐतिहासिक स्थलों को देखने और जानकारी प्राप्त करने में बिताया। बर्लिन के हमबोलट विश्वविद्यालयए और राईश टाग इमारतए द्वितीय विश्व युद्ध के समय ध्वस्त हुए एक गिरजाघर की इमारतए बर्लिन की इबरतनाक दीवार और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को देखकर वह बहुत प्रभावित हुए।

2 जून को भारतीय दूतावास में राजदूत विजय गोखले ने डॉ अम्मार रिजवी और आरिफ नकवी का स्वागत किया और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस बैठक में भारतीय दूतावास के अधिकारी अमिताभ रंजन भी शामिल थे।