नई दिल्ली : केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है। उन्होंने खेल तथा राजनीति में करियर को बढ़ावा देने वाली शिक्षा प्रणाली का समर्थन किया। मंत्री ने कहा, ‘मैं कभी छात्रों के धर्म के विषय में नहीं पूछती क्योंकि हम जाति या धर्म के आधार पर विद्यार्थी के शिक्षा के अधिकार में भेदभाव नहीं करते।’ शिक्षा में धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया जा रहा है, अपने इस वाक्य का पुष्टि के लिए स्मृति ने गुजरात के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में सैयद बारी की नियुक्ति का हवाला दिया।

एक हिंदी न्यूज चैनल से बातचीत में स्मृति ने एक छात्र के इस विचार का समर्थन किया कि शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिसमें खेल और राजनीति के क्षेत्र में करियर बनाने को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त स्थान हो। इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि नयी शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के हिस्से के रूप में, उन्होंने शिक्षा में खेलों को बढ़ावा देने के मुद्दे पर सचिन तेंदुलकर और खेल लेखक बोरिया मजुमदार से चर्चा की है।

उन्होंने कहा, ‘शिक्षा सिर्फ परिसर तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसमें पर्याप्त अवसर होने चाहिए जहां छात्र खेल में दिलचस्पी बढ़ा सकें या फिर एक दिन मेरी तरह नेता बन सकें।’ केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में कुलपतियों के पद रिक्त होने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में स्मृति ईरानी ने कहा कि नियुक्तियों में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि उन्हें चयन प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करनी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के चयनों में गड़बड़ी थी।’ उन्होंने उच्चशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्त स्थिति को बनाए रखने पर भी जोर दिया।