नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भाजपा जन संघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों के अनुरूप इस अनुच्छेद को हटाने के अपने रुख पर कायम है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सहयोगी पीडीपी के साथ ‘गठबंधन धर्म’ को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील मुद्दों को फिलहाल पीछे कर दिया गया है।

राज्य से जुड़े मुद्दों के बारे में एक साक्षात्कार में सिंह ने कई मुद्दों पर बात की लेकिन विवादास्पद मुद्दों पर ज्यादा बात नहीं की। इन विवादास्पद मुद्दों में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को वापस लेने की बात भी शामिल थी।

चिकित्सक से नेता बने 58 वर्षीय सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का प्रभावशाली पद दिया जाने के लिए आश्चर्यजनक विकल्प बनकर उभरे थे। सिंह ने 60 हजार विस्थापित कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में ‘सम्मान एवं सुरक्षा’ के साथ पुनवार्सित करने की मांग के बारे में भी बात की।

सिंह ने कहा, ‘मैं पाखंड नहीं करूंगा। पाखंड करने की कोई वजह भी नहीं है। मैं एक ऐसी पार्टी से हूं, जिसने सभी मुश्किलों से पार पाते हुए और दृढ़ विश्वास के साथ एक विशेष विचारधारा का पालन किया है। हमने दिल्ली में या कम से कम पूरे जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आने के बारे में तो कभी नहीं सोचा था।’

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार भी संभालने वाले सिंह ने कहा, ‘हमें राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने के लिए, संघवाद का झंडा बुलंद करने के लिए दिया गया था, इसलिए हम या तो आंदोलन के अंदाज में थे या विरोध प्रदर्शन के अंदाज में।’

राज्य में सरकार बनाने वाले गठबंधन का हिस्सा होने के मुद्दे पर सिंह ने कहा, ‘एक बात बहुत स्पष्ट है कि हम जम्मू-कश्मीर में गठबंधन में शामिल हैं लेकिन विचारधाराओं के आधार पर हमारे बीच मतभेद हैं। हमें यह बात स्वीकार करनी होगी। और यह सच है।’ सिंह ने कहा कि वह ‘एक निशान, एक विधान, एक प्रधान’ के पैरोकार मुखर्जी की विचारधारा को समझते हुए राजनीति में पले-बढ़े हैं।

उन्होंने कहा, ‘तो फिर हम उस सच से दूर कैसे जा सकते हैं? हम अपनी विरासत से कैसे दूर हो सकते हैं और हम अपने जन्म से कैसे दूर जा सकते हैं?’