न्यूयार्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मंगलवार को एक साल पूरा कर लिया है। अमरीकी मीडिया ने उनकी महत्वपूर्ण उपलब्घियों को लेकर निशाना साधा। एक अंग्रेजी अखबार ने कहा, उनका “मेक इन इंडिया” अभियान महज सुर्खियां ही बटोर रहा है, जबकि “भारी उम्मीदों” के बीच रोजगार में बढ़त अब भी धीमी बनी हुई है। उधर, एक अंग्रेजी अखबार ने अपने एक आर्टिकल में लिखा है कि नरेन्द्र मोदी को सच का सामना करना होगा।

एक अंग्रेजी अखबार में “इंडियाज मोदी एट वन ईयर : “यूफोरिया फेज” इज ओवर, चैलेंजेज लूम” शीर्षक से एक आर्टिकल छापा है। इसमें लिखा हैं कि मोदी सरकार को यहां की जनता ने देश में बदलाव लाने और अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के मद्देनजर उन्हें भारी बहुमत दिया। लेकिन हालात में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा।

उन्होंने कहा कि, मैन्युफैक्चिरिंग सेक्टर में मोदी सरकार ने जिस “मेक इन इंडिया” अभियान को शुरू किया है, अब तक वह सिर्फ सुर्खियों में ही है। निर्यात जैसे आर्थिक मानक का हवाला देते हुए कहा गया है कि अर्थव्यवस्था अब भी लड़खड़ा रही है।

यह भी लिखा कि पिछले साल पूंजीगत निवेश के लिए मुद्रास्फीति 2004 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। निर्यात भी अप्रैल महीने में लगातार पांचवें महीने गिरा है। इतना ही नहीं, कंपनियों की आय भी निराशाजनक रही है। वहीं, विदेशी निवेशकों ने मई में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 2 अरब डॉलर निकाल लिया है।

एक अंग्रेजी अखबार ने एक समाचार विश्लेषण में लिखा है, विदेश से देखें तो भारत उभरता हुआ सितारा नजर आ रहा है और इस साल इसके चीन से भी आगे निकलकर दुनिया की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, लेकिन भारत में रोजगार की बढोतरी सुस्त बनी हुई है, कारोबारी “वेट एंड वॉच” का रूख अपना रहे हैं। अखबार ने लिखा है, मोदी को राजनीतिक जोखिम का सामना करना पड रहा है, क्योंकि विपक्षी दलों के नेताओं ने उनके दो प्रमुख सुधारों को रोक दिया है और उन पर “गरीब विरोधी व किसान विरोधी” होने का आरोप लगा रहे हैं।