नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक कैब ड्राइवर और उसके दोस्त को बीपीओ कर्मचारी का रेप और हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। घटना 1 नवंबर 2007 की है जब पुणे में एक बीपीओ में कार्यरत 22 वर्षीय महिला कंपनी की कैब से जा रही थी। कैब के ड्राइवर पुरूषोत्तम बोरते और उसके दोस्त प्रदीप कोकटे ने महिला का रेप कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एचएल दत्तू के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा, “अपराध करने के बाद दोनों ही दोषियों ने न तो पछतावा प्रकट किया और न ही दुख व्यक्त किया, बल्कि वे अपराध करने के बाद भी सहज ही नजर आए। यह तकलीफदेह है।” ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए बेंच ने कहा कि जिस तरीके से प्लान कर अपराध को अंजाम दिया गया था उसे देख कर यह सं भावना नजर आती है कि यह लोग भविष्य में फिर ऎसा अपराध कर सकते हैं।

बचाव पक्ष की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने की अपील को खारिज करते हुए बेंच ने कहा, “यह स्पष्ट है कि यह दोनों ही अपराधी समाज के लिए हानिकारक हैं और इनके सुधरने की कोई संभावना नजर नहीं आती।” कोर्ट ने ऎसा ही निर्णय धनंजॉय चैटर्जी के केस में भी सुनाया जिस पर एक टीनएज लड़की की रेप के बाद हत्या करने का आरोप है। यह मामला 1990 का है जब पश्चिम बंगाल के भोवानीपुर में एक रिहायशी अपार्टमेंट में इस बच्ची की रेप करने के बाद हत्या कर दी गई थी।

कोर्ट ने कहा, “जिस तरह से पीडिता की रेप के बाद हत्या की गई, यह कहने पर मजबूर करती है कि ऎसे अपराधियों के लिए मौत की सजा से कम कुछ नहीं होना चाहिए।”