वाराणसी। एक शर्मनाक घटनाक्रम के तहत दुनियाभर में मशहूर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) कैंपस में भारतीय मूल की अमरीकी आयुर्वेद डॉक्टर के साथ पांच युवकों ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया। घटना 22 अप्रैल की है। बीएचयू से आयुर्वेद में पीएचडी कर रही डॉक्र भस्वती भट्टाचार्य ने बताया कि इस घटना को सोचकर ही डर जाती हैं कि वह दूसरी निर्भाया बन सकती थीं।

हालांकि, वाराणसी पुलिस कोलकाता में पैदा हुई डॉक्टर के इस विचारों से इत्तेफाक नहीं रखती। यह जानते हुए कि डॉक्टर को पांच लोगों से खतरा है, पुलिस ने शुरूआत में तो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने से ही मना कर दिया था।

हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों के दखल के बाद एफआईआर घटना के 9 दिनों बाद दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही स्थानीय सांसद हैं। अमरीका के न्यूजर्सी शहर की रहने वाली भस्वती ने इंग्लैंड के एक प्रमुख अखबार डेलीमेल को बताया कि पीएम मोदी यहां से सांसद हैं, उसके बावजूद मेरे साथ ऎसी घटना घटी।

उन्होंने कहा कि उन्हें सत्ता में आए करीब एक साल होने वाला है और जिस तरह कांग्रेस शासन में जिस तरह असुरक्षित थीं, वैसे ही आज भी महिलाएं भाजपा सरकार के शासन में असुरक्षित हैं। मैंने वाराणसी के पुलिस अधीक्षक से 28 अप्रेल को अपनी एक दोस्त के साथ मुलाकात की, लेकिन उसके बावजूद पुलिस ने एक मई को रिपोर्ट दर्ज की।

पीडिता के मुताबिक, 22 अप्रेल की शाम 7.45 के करीब 5 लोगों ने उसपर हमला तब किया जब वह अपनी सहेली के साथ कैंपस में घूम रही थी। यह हमले करने का मामला नहीं था। हमलावर मेरा लैपटॉप छोड़ गए, लेकिन मेरा मोबाइल ले गए। उन पांचों लोगों ने मेरे साथ रेप करने की कोशिश की। लेकिन, आत्मरक्षा के गुर आने के कारण वे अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पाए। हालांकि, इस दौरान मुझे चोटें जरूर आई।

भस्वती ने कहा कि जब मैं रिपोर्ट दर्ज करवाने गई, उस दौरान पुलिस का जो रवैया था, उससे मुझे काफी पीड़ा हुई। रिपोर्ट दर्ज करने की बजाए उन्होंने मुझे चुप रहने की सलाह दी। मैं कई बार पुलिस स्टेशन गई, लेकिन फायदा नहीं हुए। पुलिस अधीक्षक के दखल के बाद ही मामला दर्ज हो सका।

उन्होंने कहा कि शर्मनाक बात यह थी की मेरी मेडिकल जांच दो पुरूष डॉक्टर और एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा किया गया, जो किसी रेप से कम नहीं था।