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सलमान की अंतरिम जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्‍ली : साल 2002 के हिट एंड रन मामले में मुंबई की सत्र अदालत की ओर से दोषी करार दिए जाने के चंद घंटों के भीतर बुधवार को बंबई हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए 8 मई तक अंतरिम जमानत दे दी। सलमान को मिली इस जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर की गई।  

जानकारी के अनुसार, मुंबई के वकील अखिलेश चौबे ने गुरुवार को सुपीम कोर्ट सलमान खान को जल्‍दी जमानत देने के खिलाफ याचिका दायर की है। इस याचिका में बंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई है और सुपीम कोर्ट से सलमान की अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग की गई है।  याचिका में सलमान को अंतरिम जमानत देने पर सवाल उठाए गए हैं।

गौरतलब है कि न्यायालय इस मामले में सलमान को दोषी करार देने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर 8 मई को सुनवाई करेगा। सत्र अदालत ने सलमान को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति अभय थिप्से ने सलमान को इस आधार पर जमानत दी कि आरोपी को दोषी ठहराने वाले विस्तृत आदेश की प्रति निचली अदालत ने उन्हें मुहैया नहीं कराई है।

न्यायमूर्ति थिप्से ने कहा कि इस मामले में जल्दबाजी यह है कि अपीलकर्ता (सलमान), जो पूरी सुनवाई के दौरान जमानत पर रहे, को हिरासत में लिए जाने की आशंका है। बहरहाल, आदेश की प्रति अब तक नहीं दी गई है। न्यायाधीश ने कहा कि न्याय के हित में यह उचित होगा कि विस्तृत आदेश की प्रति सलमान को मुहैया कराए जाने तक उन्हें संरक्षण दिया जाए। न्यायमूर्ति थिप्से ने कहा कि जब प्रति तैयार होती, उस वक्त आदेश सुनाया जा सकता था। आज आदेश क्यों सुनाया गया? यदि प्रति तैयार नहीं थी तो आदेश नहीं सुनाया जाना चाहिए था।

सलमान की तरफ से पेश हुए जानेमाने वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि जब तक विस्तृत आदेश की प्रति नहीं मिल जाती, तब तक उनके मुवक्किल को जमानत दी जाए? साल्वे की दलील का विरोध करते हुए सरकारी वकील संदीप शिंदे ने कहा कि कानून के तहत उच्च न्यायालय को विस्तृत आदेश की प्रति के बगैर अर्जी पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरोपी ने अपनी अपील में आदेश की प्रति नहीं लगाई है जबकि कानून के तहत यह जरूरी है।

इससे पहले, दिन के समय सत्र न्यायाधीश डी डब्ल्यू देशपांडेय ने सलमान को पांच साल जेल की कड़ी सजा सुनाई। उन्हें आईपीसी की धारा 304-भाग-दो (गैर-इरादतन हत्या) सहित अन्य दंडात्मक कानूनों के तहत दोषी करार दिया गया।

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