लखनऊ: उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार में आम जनता कानून व्यवस्था को लेकर कराह रही थी कि सरकार के लचीले रवैये के कारण मंत्रियों की निरंकुशता इस कदर बढ़ गयी है कि मीडिया द्वारा भ्रष्टाचार को उजागर करने पर जहां मीडिया कर्मियों पर बलातपूर्वक दबाव बनाने एवं उत्पीडि़त करने का प्रयास किया गया वहीं कानून व्यवस्था संभालने वाले अधिकारी भी इन मंत्रियों के इशारे पर कानून को ताक पर रखने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं, यही कारण है कि आये दिन पुलिस अधिकारियों के तबादले के बाद भी राजधानी सहित पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। 

प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने आज जारी बयान में कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार में बैठे मंत्रियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार और ध्वस्त कानून व्यवस्था पर कंाग्रेस पार्टी शुरू से ही इसके खिलाफ आवाज उठा रही थी किन्तु प्रदेश सरकार अपने भ्रष्ट मंत्रियों को बचाने में लगी रही। हद तो तब हो गयी जब मीडिया कर्मी इस सरकार में बैठे मंत्रियों के कारनामें उजागर करने लगे तो मीडिया कर्मियों के खिलाफ सरकारी तंत्र का दुरूपयोग सामने आ गया। मीडियाकर्मियों को 20 अप्रैल की घटित घटना के सम्बन्ध में अपनी बात प्रदेश के राज्यपाल के समक्ष रखनी पड़ी। शर्मनाक तो यह है कि मंत्रियों के इशारे पर प्रदेश में हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ सरकार कोई भी कार्यवाही नहीं कर रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि इतना ही नहीं सत्तारूढ़ दल के विधायक भी कानून व्यवस्था को तार-तार करने में जुटे हुए हैं। शामली में हुई घटना में सपा विधायक की संलिप्ता सहित फर्रूखाबाद में सपा मुखिया के सामने सपा नेता द्वारा पुलिस अधिकारी को मारापीटा गया, बाराबंकी के एक अस्पताल में सपा नेताओं द्वारा हंगामा फैलाया गया, कानपुर में सपा विधायक के भाई द्वारा आर.टी.ओ. के चालक के साथ मारपीट, पश्चिमी उ0प्र0 में साम्प्रदायिक ताकतों का फिर से सिर उठाये जाने जैसी आये दिन ऐसी तमाम घटनाएं उ0प्र0 में कानून व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं और सरकार आंख मूंदकर बैठी हुई है।