लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मशहूर शायर मीर तकी मीर और मीर बबर अली अनीस के लखनऊ स्थित मकबरों के सौन्दर्यीकरण के साथ-साथ दोनों मज़ारांे पर स्थानीय नेटवर्क पर वाई-फाई की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि उर्दू ग़ज़ल को नई बुलन्दियों तक पहंुचाने में जहां मीर तकी मीर का अहम स्थान है वहीं दूसरी ओर मीर अनीस के मर्सिये भी अपना खास महत्व रखते हैं। 

श्री यादव ने कहा कि सिटी स्टेशन के करीब मीर तकी मीर का मज़ार काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। उसका निर्माण कर ऐसा बनाया जाएगा कि वहां आने वाले साहित्य प्रेमियों को भावनात्मक सुकून मिल सके। इसी प्रकार चौक स्थित मीर अनीस के मज़ार को भी और अधिक आकर्षक बनाया जाएगा। उन्हांेने बताया कि इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों की पूरी जानकारी तथा इन दोनों महान शख्सियतों की रचनाएं विशेष ऐप पर रखी जाएंगी, जिसे उक्त स्थल के भ्रमण के समय डाउनलोड कर सुना जा सकता है। इन ऐप को डाउनलोड करने के लिए दोनांे स्थान पर निःशुल्क स्थानीय नेटवर्क पर वाई-फाई सुविधा उपलब्ध होने से लोग इन स्थानों पर पहुंचकर इन शायरों की रचनाओं को अपने फोन से एक्सेस कर सकेंगे और वहीं इनकी रचनात्मक प्रतिभा से सीधा जुड़ाव भी महसूस कर सकेंगे। अपनी रचनाओं के जरिए उर्दू अदब में लखनऊ को खास मुकाम दिलाने वाले इन साहित्यकारों के योगदान को जन-जन तक पहंुचाने के मकसद से राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि मीर तकी मीर और मीर अनीस ने जहां अपनी रचनाओं के जरिए उर्दू साहित्य को समृद्ध किया वहीं दूसरी ओर इनके कलाम में लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब और अवध की विरासत की भी झलक मिलती है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से साहित्य प्रेमी मीर तकी मीर की गजलों का लुत्फ़ ले सकेंगे और उर्दू के स्काॅलर मीर अनीस की भावनाओं से जुड़ सकेंगे।

गौरतलब है कि मीर तकी मीर की रचनाओं का संकलन ‘कुल्लियाते मीर’ कई भागों में प्रकाशित हुआ है। इसके सैकड़ों संस्करण भिन्न-भिन्न प्रकाशकों ने प्रकाशित किये हैं। इनके कुल्लियात में गजल, कसीदा, मसनवी, मर्सिया, रूबाई आदि शायरी की तकरीबन सभी विधाएं शामिल है। उर्दू के बड़े शायर गालिब, ज़ौक मोमिन, हसरत ने भी इनको ग़ज़ल का इमाम माना है।

इसी प्रकार मीर बबर अली अनीस ने मर्सिया विधा को उत्कर्ष तक पहुंचाया। उन्होंने उर्दू शायरी को बेशुमार अलफ़ाज़ दिए। उनके मर्सियों का संकलन मुंशी नवल किशोर ने कई भागों में प्रकाशित किया। दुनिया की कई भाषाओं में इनकी शायरी का अनुवाद हुआ। करुणा की शायरी को बुलन्दियों तक पहुंचाने वाले मीर अनीस ने उर्दू शायरी को मालामाल किया। इन दोनों शायरों के जीवन एवं काव्य पर सैकड़ों पुस्तकें लिखी र्गइं तथा सैकड़ो शोध कार्य हुए हैं और आज भी देश व विदेश की यूनिवर्सिटियों में शोध कार्य हो रहे हंै।