लखनऊ। मुशी नवल किशोर की पुस्तकों का उर्दू विभाग की ओर से डिजीटलाईजेशन कराया जाएगा। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एस ण्बी निमसे ने आज यहां इसकी मंजूरी दी। उर्दू विभाग में होने वाले दो दिवसीय सेमिनार ष्राष्ट्रीय एकता के ध्वजवाहक मुंशी नवल किशोरष् के अंतिम दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एस बी निमसे कहा विश्वविद्यालय प्रशासन उर्दू भाषा व अदब के विकास के लिए हर समय तैयार है। यहाँ किसी भी मामले में किसी भी स्तर पर उर्दू के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। यह भाषा बहुत सुंदर और मीठी भाषा है जो संपर्क का रूप रखती है। ऐसी भाषा को बढ़ावा दिया जाता बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी की यह जिम्मेदारी है कि वह अपनी क्षमताओं को न केवल उर्दू की सेवा पर खर्च करें बल्कि उर्दू भाषा व साहित्य के विकास के लिए जी जान से जुट जाएँ।

वायस चांसलर ने यहां होने वाले सेमिनार पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पहले दो दिवसीय वैश्विक सेमिनार का आयोजन हुआ था और अब मुंशी नवल किशोर पर सेमिनार एक अच्छा कदम है। उन्होंने विभाग में पहली बार पीडीएफ छात्रवृत्ति पाने वाले डॉक्टर अब्दुूर्रहमान और डॉक्टर मुन्तजिर महदी को बधाई दी। 

अपने सम्बोधन में डॉ अब्बास रज़ा नैयर ने कहा कि मुंशी नवल किशोर ने उर्दू हिंदीए अरबीए फारसी और संस्कृत में पांच हजार से अधिक पुस्तकें लिखी हैं जो भाषा और साहित्य की बहुत बड़ी सेवा है। मुंशी नवल किशोर अवध में उर्दू किताबों के चमन के ऐसे माली हैं जिन्हें आने वाली पीढ़ियां सलाम करती रहेंगी। इससे पहले संचालन करते हुए उर्दू विभाग के अध्यक्षडॉ अब्बास रज़ा नैयर ने कहा कि कुलपति एस बी निमसे ने उर्दू लैंग्वेज लैब मंजूरी दी जिसके लिए हम सब आभारी हैं। उन्होंने कहा कि मुंशी दवारिका प्रसाद क्षितिज पर सेमिनार में उन पर शोध करने की घोषणा की गई थी इसलिए अजय कुमार सिंह उन पर शोध कर रहे हैं। इसी तरह विभाग उर्दू मुंशी नवल किशोर पर अनुसंधान कराएगा और उनके प्रकाशनों का डिजीटलायज़ेशन भी कराया जाए गा