नई दिल्ली : खुले में कचरा जलाने पर पूरी पाबंदी लगाते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को कहा कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में एनजीटी का यह एक और अहम आदेश है।

गौरतलब है कि तीन हफ्ते पहले एनजीटी ने क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा पुरानी डीजल गाड़ियों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी थी।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई निर्देश जारी किए हैं जिसमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे खुली जगहों पर कचरा जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में ‘तत्काल’ जनजागरूकता अभियान चलाएं।

पीठ ने कहा, ‘हमारे समक्ष यह रिकॉर्ड पर है कि कचरा एवं अन्य सामग्री जलाना न केवल वायु प्रदूषण का स्रोत है बल्कि पीएम 10 के संदर्भ में वायु प्रदूषण में इनकी हिस्सेदारी 29.4 प्रतिशत है। सामग्री जलाने से भी सांस लेने से जुड़ी गंभीर तकलीफें होती हैं और यह कैंसर का कारक भी बन सकता है..।’

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, ‘एनसीआर-दिल्ली के किसी भी हिस्से में खुली जगहों पर किसी तरह का कचरा, पत्तियां, प्लास्टिक, रबर या ऐसी अन्य चीजें चलाने पर पूरी तरह से पाबंदी होगी।’ शिकायतें दाखिल करने की प्रक्रिया के बारे में पीठ ने कहा, ‘यदि कोई व्यक्ति देखता है कि ऐसी चीजें जलाई जा रही हैं तो उसे संबंधित इलाके के एसएचओ, संबंधित नगर निगम, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और इसकी क्षेत्रीय शाखाओं एवं संबंधित विभागों के प्रमुखों के पास लिखित में शिकायत करने का अधिकार होगा।’ पीठ ने कहा कि यदि किसी को खुली जगह पर कचरा जलाने का दोषी पाया जाएगा तो उसे ‘प्रदूषक भुगतान करता है’ के सिद्धांत के मुताबिक एनजीटी कानून, 2010 की धारा 15 के तहत जुर्माना देना होगा।

यदि दोषी आदेश का पालन नहीं करेगा तो प्रभारी अधिकारी उसे नोटिस जारी कर न्यायाधिकरण के समक्ष पेश होने के लिए कहेगा और दोषी को बताना होगा कि वह भुगतान क्यों नहीं कर सकता है।