नई दिल्ली। पिछले 10 दिनों में श्रीनिवासन की चेयरमैन की कुर्सी पर लगातार खतरा बढ़ता गया और अब इस बात की पूरी संभावना है कि सितंबर से पहले आईसीसी का चेयरमैन कोई नया शख्स होगा। सितंबर 2015 तक एन श्रीनिवासन आईसीसी चेयरमैन पद के लिए बीसीसीआई के प्रतिनिधि बने रहेंगे। बोर्ड की एजीएम में फैसला होगा कि इसके बाद आगे का रास्ता क्या हो? करीब 12 दिन पहले ही बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने एक इटंरव्यू में इस बात की तरफ साफ-साफ इशारा कर दिया था कि बीसीसीआई में अब श्रीनिवासन के दिन गिनती के रह गए हैं।

बीसीसीआई वर्किंग कमेटी से ठीक पहले एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में जगमोहन डालमिया ने भी ये साफ कर दिया था कि वो भी इस मुद्दे पर अनुराग ठाकुर के ही साथ हैं। पिछले 24 घंटे में अनुराग ठाकुर पर हुए आरोपों के हमले के बाद अब श्रीनी विरोधी पर दबाव लगातार बनता जा रहा है।

नियमों के मुताबिक जुलाई 2014 से लेकर जून 2016 यानी 2 सल तक आईसीसी चेयरमैन का पद बीसीसीआई के प्रतिनिधि का है। बीसीसीआई अध्यक्ष होने के चलते श्रीनिवासन आईसीसी की गद्दी तक पहुंच गए। लेकिन, अब श्रीनिवासन के पास ना तो बीसीसीआई की गद्दी है और अब उनकी आईसीसी की गद्दी भी छिनने वाली है।

पहले से ही श्रीनी के करीबी संजय पटेल चुनाव हार चुके हैं और रंजीव बिस्वाल और शिवलाल यादव जैसे समर्थकों को भी दरकिनार कर दिया गया है। आलम ये है कि श्रीनिवासन के बेहद करीबी माने-जाने वाले बोर्ड कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को भी अहम कमेटी में जगह नहीं दी गई है।

आमतौर पर किसी भी विरोधी को बुरी तरह से कुचलने का रवैया अपनाने वाले श्रीनिवासन भी बोर्ड में बदलते समीकरण से वाकिफ है और इसलिए पहली बार उन्होंने शालीन रवैया अपनाया है। ठाकुर के हमले के बाद उनसे जब श्रीनिवासन की प्रतिक्रिया मांगी गई तो उनका कहना था कि मैं इस मुद्दे पर मीडिया के सामने कुछ नहीं कहूंगा। अगर मुझे अनुराग से कुछ कहना है तो फोन पर बात करुंगा या फिर ईमेल लिखूंगा। बहहराल, ठाकुक के आक्रामक तेवर को देखते हुए ये साफ है श्रीनिवासन की ये नई शालीनता उन पर किसी तरह का असर डालेगी।