नई दिल्ली: ‘आम आदमी पार्टी और उसके कायर्कर्ताओं ने रैली में खुद को फांसी लगाने वाले किसान को बचाने में सहयोग नहीं किया।’- यह कहना है दिल्ली पुलिस का और यह बात उसने गजेंद्र की मौत पर दर्ज की गई एफआईआर में कही है।

वहीं केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू की गई मजिस्‍ट्रेटी जांच में शामिल होने से दिल्‍ली पुलिस ने यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि ये दिल्‍ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।

एफआईआर में आप कार्यकर्ताओं पर पुलिस के काम में हर कदम पर बाधा पहुंचाने और राजस्थान के उस किसान गजेंद्र सिंह को भड़काने के भी आरोप लगाए गए हैं। पुलिस के वर्जन से होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भी सहमति जताई।

संसद में राजनाथ सिंह ने कहा कि मौके पर मौजूद पुलिसवालों ने कंट्रोल रूम को अलर्ट किया था और फायर ब्रिगेड भेजे जाने और सीढ़ियां भेजे जाने के लिए कहा था ताकि किसान को पेड़ से उतारा जा सके। पुलिस ने भीड़ को गजेंद्र को भड़काने से रोकने की कोशिश भी की। ऐसे मामलों में ऐसी कोई कोशिश करने वालो को समझाने  बुझाने, बातों में लगाने की कोशिश की जानी चाहिए लेकिन लोग शोर बचाते रहे और तालियां बजाते रहे।

एफआईआर में पुलिस का कहना है कि 12 बजकर 50 मिनट पर पुलिस ने कंट्रोल  रूम को सजग कर दिया था। पुलिस ने यह भी लिखा है कि मदद का सामान आने के बाद आप कार्यकर्ताओं को इमर्जेंसी वीइकल और फायर ब्रिगेड के लिए रास्ता बनाने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।

यह भी एफआईआऱ में है कि गजेंद्र के फांसी लगाने के बाद उसके शरीर का कुछ हिस्सा शाखा पर अटक गया था। तब कुछ वर्कर्स पेड़ पर चढ़ गए और जब हमने कहा कि हम उसे नीचे ले आएंगे तब आप वालों ने हमारी सुनी नहीं और उसके गले में बंदे कपड़े को खोल दिया जिससे वह जमीन पर गिर गया।

इस पूरे मामले पर आप नेता संजय सिंह और कुमार विश्वास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि यह सब साजिश है और पुलिस केंद्र सरकार के इशारे पर उसके खिलाफ साजिश कर रही है।