लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार पर आक्रामक रूख अख्तियार करते हुए कहा कि राज्य में किसानों के साथ क्रूर मजाक हो रहा है। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा राज्य में औसतन दो से ढाई घण्टे के भीतर एक किसान दम तोड़ रहा है, सरकार बजाय उनकी सुध लेने के दावे करने में व्यस्त है, पहले 50, 61, 75, 100 और 150 रूपये तक के चेक के कृत्य से सुर्खिया बटोर चुकी अखिलेश सरकार के खातो में पर्याप्त पैसा नहीं है जिसके कारण अब किसानों के मुआवजे के दिये गये चेक बाउन्स हो रहे है। श्री पाठक ने सपा सरकार से सवाल करते हुए कहा कि रोज करोड़ों रूपये के मुआवजे बांटने के दावे हो रहे है वो पैसा जा कहा रहा है।

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर किसानों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि राज्य में दैवीय आपदा से सदमें में आया किसान दम तोड़ रहा है। किन्तु तकनीकी कारणों का हवाला दे सरकार राज्य में हो रही किसानों की मौते को नकारने में जुटी है। संसद में भारत सरकार के कृषि मंत्री ने राज्य सरकार के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि उ0प्र0 से जो पत्र आया है उसमें किसी किसान के दैवीय आपदा से मरने की सूचना नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि फिर प्रदेश में लगातार किसानों के दम तोड़ने के जो समाचार आ रहे है, उनका सच क्या है मुख्यमंत्री स्पष्ट करें।

उन्होंने कहा कि गए सप्ताह के राजधानी के प्रमुख समाचार पत्रों पर नजर डाले तो स्पष्ट हो रहा है कि प्रदेश में औसतन दो से ढाई घण्टों में एक किसान दम तोड़ रहा है। अगर हम 14 अप्रैल से लेकर आज तक नजर डाले तो 14 अप्रैल को 49, 15 अप्रैल को 81, 16 अप्रैल को 61, 17 अप्रैल को 75, 18 अप्रैल को 63, 19 अप्रैल को 76, 20 अप्रैल को 83, और 21 अप्रैल को 57 किसानों के मौत को गले लगाने के समाचार है। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कि आखिर दम तोडते किसानो के जो समाचार आ रहे है, उनके सरकार नकार रही है, तो फिर वहीं बता दे कि सच क्या है ?

श्री पाठक ने कहा कि आखिर कौन सी परिस्थितियां उत्पन्न हो गयी की बिना खातों में पैसा रहे, चेक काट दिये गये। मंत्री, अधिकारियों की मौजुदगी में राहत के चेको का वितरण कर वाहवाही लूटने की जुगत में जुटे समाजवादी पार्टी यह भी देखे कि जिन्हे चेक दिये जा रहे है, उनके चेक कैश भी हो जाये। 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के मंत्री घटनाओं के प्रकाश में आने पर कार्यवाही होगी का जुमला बोल कर अपने कत्र्तव्यों की इतश्री मान ले रहे है। किन्तु जब जो मंत्रीगण अपनी ही समीक्षा बैठक में लापरवाह अधिकारी पर कार्यवाही नहीं कर सके हो, वह फील्ड में तैनात अधिकारियों पर क्या कार्यवाही कर पायेंगे। जगह-जगह 50, 100 रूपये के चेक बांटे गये तो कहा गया कार्यवाही होगी और जब कार्यवाही हुई तो छोटों को नापकर खाना पूर्ति कर ली गयी। अब जब बैंको से चेक वापस हो रहे तो फिर कार्यवाही होगी का जुमला का प्रयोग हो रहा है। सवाल ये है कि यह परिस्थिति ही क्यों उत्पन्न हुई कि खाते में पैसा रहे बेगैर चेक कट गये।