नई दिल्ली :  बजट सत्र के दूसरे चरण की आज हंगामेदार शुरुआत हुई। विपक्षी दल कांग्रेस के सांसदों ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के सोनिया गांधी पर दिए बयान की निंदा की और पीएम नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की। सदन में मौजूद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया कि सरकार ऐसे किसी बयान का समर्थन नहीं करती जो महिलाओं का अपमान करती है। बावजूद इसके कांग्रेस के सांसद नारेबाजी करते रहे।

आखिरकार गिरिराज सिंह को अपने बयान को लेकर खेद जताना पड़ा और उन्होंने कहा कि मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाना नहीं था लेकिन अगर किसी को दुख पहुंचा है तो मुझे खेद है । इस बीच संसद में आज भूमि अधिग्रहण बिल पेश हो गया। यह बिल बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रुडी ने पेश किया।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद सदन में कहा कि मेरी मंशा किसी के अपमान की नहीं थी।  मेरी बातों से अगर किसी को दुख पहुंचा है तो मैं इसके लिए खेद प्रकट करता हूं। गौर हो कि सिंह इससे पहले सदन के बाहर भी अपने बयान पर माफी मांग चुके हैं।

कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह मामला उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार में शामिल दलों के सांसद अशोभनीय टिप्पणी कर रहे हैं, जिससे देश में सदभाव का वातावरण खराब हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के नेता संजय राउत ने अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने की मांग की है, जबकि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की। उनके बयान से देश का सिर शर्म से झुक गया है। प्रधानमंत्री इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। उन्हें  सिंह से इस्तीफा मांगना चाहिए और सदन में आकर माफी मांगनी चाहिए।

इस पर संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार सिंह के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है। ऊंचे पद पर बैठे हुए किसी व्यक्ति को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए, जिससे किसी भी भावना आहत होती हो। ऐसा बयान स्वीकार्य नहीं है। लेकिन कांग्रेस के सदस्य इससे सहमत नहीं हुए और प्रधानमंत्री के बयान की मांग करने लगे। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सिंह मंत्री हैं और सदन का नेता होने के नाते प्रधानमंत्री को इस पर बयान देना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कहा कि सिंह को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था, लेकिन हर बात पर प्रधानमंत्री को सदन में आकर माफी मांगने की मांग नहीं की जानी चाहिए। लेकिन कांग्रेस के सदस्य प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर अड़े रहे। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे, जिससे प्रश्नकाल बाधित हुआ।