आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व जब मानव जीवन दुखों से भरता जा रहा था तब दयालु परमपिता परमात्मा ने टुकडे़-टुकड़े में बंटे हुए मानव जीवन को ‘हृदयों की एकता’ के सूत्र में पिरोने के लिए इस युग के अवतार बहाउल्लाह को पृथ्वी पर भेजा था। बहाउल्लाह ने मानवजाति को संदेश दिया कि ईश्वर एक है, सभी धर्म एक हैं तथा सम्पूर्ण मानवजाति एक है। परमात्मा ने बहाउल्लाह के माध्यम से हृदय की एकता का सन्देश पवित्र पुस्तक किताबे अकदस के द्वारा सारी मानव जाति को दिया। लेकिन यह अत्यन्त ही दुःख की बात है कि 1844 में जन्मे बहाई धर्म पर प्रारम्भ से ही ईरान में हिंसा व बहाईयों पर अत्याचार होता आ रहा है। 

सन् 1979 में जब से ईरान में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई है, तब से बहाइयों पर हमले तेज़ी से बढ़े हैं। 1979 और 1988 के बीच, करीब 200 बहाई मारे गये, उनकी हत्या कर दी गई या फिर अचानक सरकार द्वारा लापता करार कर दिये गये। सन 1991 में ‘‘बहाइयों के प्रश्न’’ पर एक उच्च स्तरीय सरकारी मेमोरेन्डम ने इस बात का खुलासा किया कि कैसे ईरान के बहाई समुदाय की तरक्की व विकास रोकने के लिए उनके खिलाफ़ सोची समझी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व शैक्षिक भेदभाव की नीति तैयार की गयी थी।ईरान के बहाइयों के खिलाफ घृणा को आग देने हेतु आॅनलाइन मीडिया व प्रिन्ट मीडिया द्वारा बहाई धर्म की शिक्षाओं व इतिहास को गलत अंदाज में दर्शाया गया है। ईरान में बहाई युवाओं को न केवल नौकरी के अधिकार से वंचित रखा जाता है बल्कि उनको उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर भी प्रतिबंध है। बहाई युवकों को शिक्षा में आगे बढ़ाने हेतु बहाई इन्स्ट्टियूट फाॅर हायर एजुकेशन  की स्थापना की गई। किन्तु ईरान में कई छात्रों के घरों पर छाप पड़े हैं जिसमें किताबें व अन्य शैक्षिक सामग्री, कम्प्यूटर इत्यादि को जब्त करने के साथ ही 13 छात्रों को जेल में डाल दिया गया। 

सितम्बर 2014 में एक पत्रकार व फिल्म निर्माता मजि़यार बहारी ने ‘टु लाइट ए कैन्डिल’ (एक मोमबत्ती जलाओ) नामक एक प्रभावशाली डाॅक्यूमेन्ट्री फिल्म में दशकों से चल रहे राज्य प्रायोजक अत्याचार व अन्याय के खिलाफ शान्तिपूर्ण विरोध पर आधारित बहाइयों की कहानी को चित्रित किया है। इससे एक नये आन्दोलन ने जन्म लिया – ‘शिक्षा कोई अपराध नहीं है’ – (एजुकेशन इज़ नाॅट ए क्राइम) इस आन्दोलन के अन्तर्गत ईरान के बहाइयों के लिए पूरे विश्व से समर्थन की आवाजे़ उठने लगीं। इनमें अभिनेता रैन विल्सन व मार्क बफलों व नोबल पुरस्कार विजेता आर्च विशप डेस्मन्ड टुटू और डा. शिरीन इबादी जैसी कुछ जानी मानी हस्तियाँ भी थीं।

बहाई धर्म एक ऐसा धर्म है जो किसी भी धर्म की अवहेलना नहीं करता बल्कि सभी धर्मो को एक समान समझता है व सभी धर्मो और उनके अवतारों व पैगम्बरों का आदर करना सिखाता है। बहाई धर्म परमात्मा और इसके अवतारों की एकता को स्वीकार करता हुआ व ’वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धान्त का समर्थन व पोषण करता है। बहाई धर्म की प्रार्थना है कि एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु, निज महान उद्देश्य उन पर कर प्रगट मेरे विभो। बहाउल्लाह ने कहा है कि सब धर्मों का सार मानव मात्र की एकता स्थापित करना है। यह आज के युग की समस्याओं का एकमात्र समाधान है। बहाउल्लाह का मानना है कि परिवार में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पिता, भाई-बहिन सभी परिवारजनों के हृदय मिलकर एक हो जाये तो परिवार में स्वर्ग उतर आयेगा। इसी प्रकार सारे संसार में सभी के हृृदय एक हो जाँये तो सारा संसार स्वर्ग समान बन जायेगा। 

-डाॅ. भारती गाँधी, संस्थापक-प्रबन्धक

सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ