केंद्र सरकार ने बनाई उच्‍चस्‍तरीय समिति 

नई दिल्‍ली : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी रिश्तेदारों की वर्षों पहले कथित तौर पर जासूसी कराए जाने को लेकर छिड़े विवाद के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अहम फैसला लिया है। कमेटी बनाने के फैसले से इस बात की अब संभावना बढ़ी है कि केंद्र सरकार नेताजी से जुड़े फाइलों को सार्वजनिक कर सकती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने नेताजी से जुड़ी फाइलों या दस्‍तावेजों को सार्वजनिक करने को लेकर एक उच्‍चस्‍तरीय समिति बनाई है। ये समिति फैसला करेगी कि कब और किस रूप में नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किया जाएगा। बताया जा रहा है कि गुरुवार को कमेटी की पहली बैठक होगी और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला तय किया जाएगा। कैबिनेट सचिव इस उच्‍चस्‍तरीय कमेटी के अध्‍यक्ष होंगे। उधर, गृह मंत्रालय ने नेताजी से जुड़ी कोई भी फाइल अपने पास होने से इनकार किया। सूत्रों के अनुसार नेताजी से जुड़ी 83 फाइलें हैं। जिनमें से 58 फाइलें  पीएमओ और 25 फाइलें विदेश मंत्रालय के पास है।

नेताजी के पौत्र सूर्य कुमार बोस ने जर्मनी में बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दावा किया कि नेताजी से जुड़ी सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की उनकी मांग पर मोदी ने विचार करने का आश्वासन दिया है। सूर्य ने मोदी के सम्मान में जर्मनी में भारतीय राजदूत विजय गोखले की ओर से आयोजित समारोह में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान सूर्य ने नेताजी से संबंधित सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की। सूर्य ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि दस्तावेजों को जल्द सार्वजनिक किया जाए क्योंकि वह हालिया खबरों से स्तब्ध हैं कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने नेताजी के परिवार की ‘जासूसी कराई थी। मोदी के जवाब के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि मामले को वह ठीक से देखेंगे क्योंकि उन्हें भी लगता है कि ‘सच सामने आना चाहिए। सूर्य ने कहा कि सच सामने आना चाहिए और इसको लेकर एक जांच आयोग का गठन होना चाहिए।

सूर्य ने नेहरू सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘स्तब्धकारी’ है कि स्वतंत्र भारत की एक सरकार ने नेताजी के परिवार की जासूसी की थी। उन्होंने कहा कि सरकार को सच सामने लाना चाहिए। गौर हो कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने दो दशकों तक सुभाष चंद्र बोस के रिश्तेदारों की करीबी नजर रखी और यह काम ज्यादातर जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल में किया गया। राष्ट्रीय अभिलेखागार के इस खुलासे ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया।

उधर, नेताजी के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने बीते दिनों कोलकाता में कहा कि हम चाहते हैं कि केन्द्र और राज्य की सरकारें नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलें तत्काल सार्वजनिक करें। यह उनसे अपील नहीं है बल्कि यह हमारी मांग है। बोस ने कहा कि राज्य सरकार के पास करीब 64 गोपनीय फाइलें और केन्द्र सरकार के पास सौ से अधिक (गोपनीय) फाइलें हैं। आम आदमी जानना चाहता है कि नेताजी के साथ क्या हुआ।