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सुब्रत रॉय की रिहाई की जगी उम्मीद

सहारा ने सेबी के रिफंड खाते में 1.3 करोड़ डॉलर लाने के दावे का किया समर्थन

नई दिल्ली। सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय जल्द ही जेल से बाहर आ सकते हैं। सेबी के साथ कानूनी विवाद के बावजूद सहारा ने अमरीकी अदालत में 1.3 करोड़ डॉलर की राशि वापस लाने के लिए सेबी के दावे का समर्थन किया है। यह रकम समूह के कॉर्पोरेट जेट बेचने से मिली है। यही नहीं सहारा ने इस मामले में सेबी के सक्रिय योगदान की भी प्रशंसा की है। वहीं उम्मीद की जा रही है कि अमरीका में एस्क्रो खाते में रखी यह रकम सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में आने से सहारा समूह को जो रकम सुप्रीम कोर्ट को चुकता करनी है, वह चुकता हो जाएगी और सुब्रत राव रिहा हो सकेंगे।

सहारा समूह की कंपनी हॉस्पिटैलिटी बिजनेस लिमिटेड ने नया एयरबस ए319 विमान खरीदा था। यह यह विमान ब्रिटेन के परिचालक की दीर्घकालिक पट्टे पर निजी चार्टर के लिए लग्जरी कार्यकारी जेट के तौर पर चलाने के लिए दिया जाना था। हॉस्पिटैलिटी ने इस विमान को आंतरिक सज्जा और केबिन के काम के लिए इंडियानापोलिस की कॉम्लेक्स के पास भेजा। हॉस्पिटैलिटी, कॉम्लेक्स को अनुबंध राशि का भुगतान नहीं कर सकी क्योंकि सहारा समूह विदेशी मुद्रा में सौदे नहीं कर सकता था। कॉम्लेक्स ने इंडियानापोलिस में हॉस्पिटैलिटी के खिलाफ मामला दायर कर दिया जिसमें उसके पक्ष में फैसला दिया गया।

मामले में फैसला आने के बाद बिक्री से मिली रकम एसक्रो खाते में जमा कर दी गई थी, जिसमें से कॉम्लेक्स का भुगतान कर दिया गया और बची हुई रकम पर अन्य पक्षों से 1 मार्च 2015 तक दावे आमंत्रित किए गए थे। इसके तहत सेबी ने रिसीवर को ईमेल कर इस राशि पर दावा पेश किया था, ताकि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह से निवेशकों के कुल 24000 करोड़ रूपए की जिस रकम को सेबी के पास जमा करने के आदेश दिए हैं, उस रकम को वसूला जा सके। 

सेबी की इस अपील को अमरीकी कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि सेबी निर्घारित अवधि और अदालती आदेश की शर्तो के तहत समुचित तरीके से अपना दावा पेश नहीं कर सकी, हालांकि अदालत ने एसक्रो खाते में रखी राशि के वितरण पर विचार के लिए रिसीवर नियुक्त कर दिया था और कहा था कि अगर रिसीवर सेबी की मांग की वैधता को लेकर संतुष्ट हो तो वह इस पैसे को सेबी-सहारा रिफंड खाते में ट्रांसफर कर सकता है। 

सहारा समूह के मुख्यवक्ता ने कहा, “सहारा और हॉस्पिटैलिटी बिजनेस लिमिटेड ने कोर्ट को बताया है कि सहारा इस रकम में से बचा हुआ पैसा नहीं लेना चाहता और चाहता है कि यह पैसा सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाए। इसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने सहारा और एचबीएल की यह गुजारिश मान ली है और यह सारा पैसा सेबी के अकाउंट में भेज दिया है।” 

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