राष्ट्रपति से पूछे बिना न जाए राज्य से बाहर 

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यपालों को अपने संबंधित राज्यों में साल में कम से कम 292 दिन रहना होगा और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही राज्य से बाहर जाएं।

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से ताजा निर्देश तब आया है जब यह बात संज्ञान में आई कि कुछ राज्यपाल काफी समय अपने संबंधित राज्यों से बाहर व्यतीत कर रहे हैं। गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचित 18 बिन्दुओं के नये नियमों में कहा गया है, ‘कोई भी यात्रा राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना अथवा आकस्मिक या अभूतपूर्व परिस्थितियों में बिना राष्ट्रपति सचिवालय को पूर्व में सूचित किये बिना नहीं की जानी चाहिए।’

अंतिम क्षणों में यात्रा की योजना की स्थिति में राज्यपालों को इसके कारणों को बताना होगा। राज्य से बाहर यात्रा करने के संबंध में राष्ट्रपति भवन को आग्रह यात्रा की तिथि से एक से छह सप्ताह पहले की अवधि में किसी समय भेजना होगा और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यात्रा आधिकारिक या निजी है और उन्हें भारत के भीतर या विदेश जाना है।

राज्यपालों को अपने आग्रहों को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंन्द्र मिश्रा और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को संबद्ध करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि निजी यात्रा को आधिकारिक रूप में नहीं दर्शाया जाए, राजभवनों को प्रत्येक आधिकारिक यात्रा घरेलू या विदेश का ब्यौरा राष्ट्रपति को भेजना होगा और इसमें किसी तरह के बदलाव के बारे में राष्ट्रपति भवन को सूचित करना होगा।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘राज्यपालों के लिए ऐसी यात्रा की अवधि को कैलेंडर वर्ष के 20 प्रतिशत दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।’ विदेश यात्रा के मामलों में राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए संवाद राष्ट्रपति सचिवालय को एडवांस में छह सप्ताह पहले प्राप्त हो जानी चाहिए।

इसमें कहा गया है, ‘राज्यपालों को निश्चित तौर पर विदेश यात्रा से पहले विदेशी चंदा नियमन अधिनियम के तहत और राजनीतिक मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए।’ सूत्रों ने कहा कि राज्यपालों द्वारा सुविधाओं के दुरूपयोग के कई मामले सामने आने के बाद नया नियम अधिसूचित किया गया।