नई दिल्ली। 200 साल पुराने मुंबई के श्री सिद्धीविनायक मंदिर में कई सर्किट कैमरा और तकरीबन 65 सिक्योरिटी अफसर तैनात हैं। ये भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से है, जिसमें तकरीबन 158 किलो सोना मौजूद है, जोकि तकरीबन 67 मीलियन डॉलर का है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और यहां के प्राचीन मंदिरों के पास अरबों रूपए के आभूषण जमा है। जोकि इनकी कुछ पुरानी और आधुनिक तिजोरियों में जमा हैं।

कुछ साल पहले केरल के श्री पदनमानभा स्वामी मंदिर के गुप्त भूमिगत तहखानों से तकरीबन 20 बिलियन सोना पाया गया था। वहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मई में एक स्कीम लॉन्च करने की तैयारी में है। जिसकी मदद से वे मंदिरों को अपना सोना बैंकों में जमा कराने और उसके बदले में बयाज लेने के लिए प्रोतसाहित करने की तैयारी में है। सरकार इस सोने को पिघला कर जौहरियों को लोन के रूप में देने का विचार कर रही है, जिसकी मदद से वो सोने के अत्याधिक आयात को काबू में करना चाहती है। 

सूत्रों के मुताबिक अगर भारत के ये प्राचीन मंदिर इस स्कीम से जुड़ने के लिए मान जाते हैं तो भारत में वार्षिक सोने के आयात में 800 से 1,000 टन तक की कटौती एक क्वार्टर में की जा सकेगी। सिद्धीविनायक मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र मुरारी राणे ने कहा, “अगर योजना फायदेमंद, सुरक्षित और अच्छा बयाज देने वाली होगी तो हमे अपना सोना राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा कराने में खुशी होगी।”

दूसरी ओर कुछ हिंदू श्रृद्धालु इस विचार से खुश नहीं हैं कि उनके द्वारा चढ़ावे के रूप में चढ़ाये गए सोने को पिघलाया जाए। 52 वर्षीय एक सौदागर ने कहा है कि मैं भगवान के लिए दान करता हूं, नाकि किसी मंदिर के ट्रस्ट के लिए। वहीं मोदी सरकार भारतीय परिवारों को अपनी तिजोरियां खोलने के लिए भी समझाना चाहती है, जिसमें तकरीबन 17 हजार टन सोना मौजूद है।