अहमदाबाद। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही भारत के मोस्ट एलीजिबल बैचलर्स में शामिल किए जाते हैं, लेकिन उन्हीं के गृहराज्य गुजरात में 6.29 लाख से भी अधिक युवा कुवांरे बैठे हैं। ऐसा नहीं है कि 30 से 40 वर्ष की उम्र के ये युवा आर्थिक, सामाजिक या शैक्षणिक किसी भी दृष्टि से कमजोर या नाकाबिल है बल्कि ऐसा इसलिए है कि गुजरात में शादी योग्य लड़कियों की संख्या बेहद कम हो गई है।

कन्या भ्रूण हत्या तथा अन्य कारणों के चलते वहां पर लिंग अनुपात प्रति 1000 लड़कों पर केवल 886 लड़कियां है। किसी किसी जगह पर तो यह अनुपात प्रति 100 लड़कों पर केवल 70 लड़कियां ही रह गया है। जनसंख्या के ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में अविवाहित लड़कियों की संख्या करीबन ढाई लाख है जबकि कुवारें लड़कों की संख्या इससे तिगुनी अर्थात लगभग साढ़े सात लाख है।

इन कुवांरे युवाओं में हाईली क्वालिफाईड युवाओं से लेकर एलीट क्लास तक के लड़के भी शामिल हैं। इनमें से अधिकतर पोस्टग्रेजुएट या डॉक्टरेट किए हुए हैं, बढिय़ा सैलेरी पैकेज उठा रहे हैं और लगभग देश के हर मैरिज ब्यूरो पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, हर सामूहिक विवाह सम्मेलन में जाकर भाग ले रहे हैं परन्तु शादी नहीं हो पा रही है।

ऐसे में अब लोग शादी कराने वाले दलालों से सम्पर्क साध रहे हैं। लेकिन वहां भी उन्हें धोखाधड़ी के चलते लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गुजरात, हरियाणा और पंजाब जैसे इलाकों में शादी के एक-दो दिन बाद ही नवविवाहिता बहुओं द्वारा घर की सारी ज्वैलरी तथा पैसे लेकर भागने के काफी मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि इस समस्या का एक सकारात्मक पक्ष भी है। पहले जहां लड़कियों के पिता को शादी के लिए भटकना पड़ रहा था, उन्हें दहेज की व्यवस्था करनी होती थी, ऐसा अब नहीं है, अब लड़कियों को पहले से ज्यादा अच्छे, पढ़े-लिखे, धनी पति मिल रहे हैं और दहेज के बारे में भी नहीं सोचना पड़ता है।