नई दिल्ली: बीजेपी सोमवार को अपना 35वां स्थापना दिवस मना रही है। लेकिन एक विवाद फिर बीजेपी का पीछा करते हुए यहां भी आ गया। पार्टी के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि इस वरिष्ठ नेता को दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में होने वाले स्थापना दिवस कार्यक्रम के लिए न्योता ही नहीं मिला है।

एक सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि 87 वर्षीय आडवाणी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मैसेज तक नहीं भेजा गया है। स्थापना दिवस के कार्यक्रम की कमान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के हाथ है। पिछले शनिवार को आडवाणी ने बेंगलुरु में आयोजित हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अमित शाह के निवेदन को ठुकराते हुए पार्टी को संबोधित करने से इनकार कर दिया था। पिछले 35 साल में पार्टी के किसी भी अधिवेशन में आडवाणी का संबोधन बीजेपी में एक रिवाज की तरह बन गया था।

आडवाणी ने पिछले आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश की थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें निर्णयात्मक भूमिका से बेदखल कर दिया गया। आडवाणी के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मुरली मनोहर जोशी की भी निर्णय लेने वाले मंडल से छुट्टी कर दी गई थी।

बाद में सभी नेताओं को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में डाल दिय गया, जो पार्टी को सुझाव देने का काम करते हैं, हालांकि विपक्षी पार्टियां कहती रही हैं कि वरिष्ठ नेताओं को बीजेपी ने रिटायरमेंट होम में डाल दिया है।

मार्गदर्शक मंडल का जब से गठन हुआ है, तब से अब तक इसकी एक भी बैठक नहीं हुई है। इस मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों को जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन और दिल्ली में किरण बेदी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने के बारे में भी नहीं पूछा गया।