लखनऊ: हिन्दी हितकारिणी सभा, नवोदित साहित्यकार परिषद तथा संस्कार भारती लखनऊ के तत्वावधान में विजय त्रिपाठी के रूचि खण्ड शारदानगर स्थित आवास पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वासुदेव वाजपेयी अनन्त ने की तथा मुख्य अतिथि केशरी प्रसाद शुक्ल रहे। गोष्ठी का प्रारम्भ नन्दलाल शर्मा ‘चंचल’ ने वाणी वन्दना कर के किया। मानस मुकुल त्रिपाठी ने काव्य पाठ किया – वन्देमातरम गान से होता हृदय पवित्र। धरती भारत वर्ष की, हल्दी, कुमकुम इत्र।। श्री कृष्ण प्रताप सिंह सुमन ने गीत सुनाया- सन्देश प्रेम का होली लाती। डाल डाल पर कोयल गाती। अखिलेश त्रिवेदी शाश्वत ने अपने छन्दो के साथ दोहा पढ़ा – अगर अनय के सामने रही लेखनी मौन। पांचजन्य फिर क्रान्ति का, फूंक सकेगा कौन।। को सभी ने सराहा। विजय त्रिपाठी ने अपने गीत सुनाये- चन्द्र गुप्त के कर में फिर से शिखा राष्ट्र सम्मान की। याद दिलाती विजय हमारी देवासुर संग्राम की। विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी रचना का पाठ किया- दुनिया के सब देशों में एक देश है हिन्दुस्तान। प्राकृतिक सम्पदा, ऋतुओ की अनोखी भूमि। मुख्य अतिथि श्री केशरी प्रसाद शुक्ल ने राश्ट्र प्रेम से ओतप्रोत गीत पढ़े- भारत पूर्ण रहे जग में बस हम दिन चार रहें न रहें। अन्त में अध्यक्षीय वक्तव्य के साथ वासुदेव वाजपेयी अनन्त ने काव्य पाठ कर गोष्ठी का समापन किया।
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