हिन्दू संगठनों को काबू करने में विफल रही मोदी सरकार: बसपा प्रमुख 

लखनऊ : बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी सपा सरकार के चुनावी वायदे पूरे करने के दावों को खारिज करते हुए आज उसे चुनौती दी कि यदि उसे अपने दावे पर इतना भरोसा है तो वह मध्यावधि चुनाव कराकर नया जनादेश हासिल करने की हिम्मत दिखाये। मायावती ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार ने एक ओर चुनावी वायदे पूरे नहीं किये तो दूसरी ओर यह पूंजीपतियों और धन्नासेठों की सरकार बनकर रह गयी है।

बसपा प्रमुख ने यहां संवाददाताओं से कहा, सपा सरकार ने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर सभी चुनावी वायदे पूरे करने का दावा किया है। यदि उसे अपने दावे पर इतना ही भरोसा है तो वह मध्यावधि चुनाव कराकर नया जनादेश हासिल करने की हिम्मत दिखाये। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, यह दस महीने के अपने अब तक के कार्यकाल में चुनावी वायदे तो पूरे करते नहीं नजर आई। इसने धन्नासेठों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। संप्रग सरकार ने धन्नासेठों को जितना लाभ पहुंचाया, राजग सरकार उसका चार गुना लाभ पहुंचाने में लगी हुई है। मायावती ने लखनउ मेट्रो रेल सहित विभिन्न परियोजनाओं का जिक्र करते हुए दावा किया कि ये सभी परियोजनाएं बसपा के शासन में शुरू की गयी थीं, जिन्हें सपा सरकार अपना बता रही है।

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था के बारे में मायावती ने कहा, सपा सरकार के समय में हर तरह का अपराध बढा है। बाहरी लोग उत्तर प्रदेश को क्राइम प्रदेश कहने लगे हैं। यूं तो सपा सरकार के शासनकाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त ही रहती है लेकिन इस बार सारे रिकॉर्ड टूट गये हैं।

मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रहार करते हुए कहा कि राजग सरकार हिन्दू संगठनों को काबू करने और अर्थव्यवस्था को सुधारने में विफल रही है। बजट पूंजीपतियों के पक्ष में है। हिन्दू संगठनों की बढती गतिविधियों पर उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान और ईसाई असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। और तो और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उच्चतम न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को इस संबंध में सलाह दी है लेकिन इन सलाहों को गंभीरता से नहीं लिया गया।

उन्होंने कहा, सबका साथ सबका विकास का नारा बुरी तरह विफल हो गया है। मायावती ने भाजपा नेताओं की आपत्तिजनक टिप्पणियों की निन्दा करते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियां देश में किसी भी समय कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर सकती हैं।

भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। केन्द्र को भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने वाला विधेयक वापस लेना चाहिए। उसे 2013 में पारित कानून ही लागू करना चाहिए। विधेयक के विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में विरोधी दलों के नेताओं और सांसदों के राष्ट्रपति भवन तक किये गये मार्च में शामिल नहीं होने के बारे में मायावती ने सफाई दी कि इससे ये दुष्प्रचार होता कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई तालमेल हो रहा है। इसी वजह से विधेयक पर विरोध के बावजूद हम मार्च में शामिल नहीं हुए।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिये जाने का स्वागत करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा संस्थापक कांशीराम को भी सामाजिक बदलाव के लिए किये गये योगदान पर भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। उन्होंने केन्द्र से कहा कि वह उत्तर प्रदेश के विभाजन और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की पृथक पीठ स्थापित करने जैसे मुददों पर विचार करे। इस संबंध में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है।

बसपा सुप्रीमो ने सपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसका पूरा ध्यान और सरकारी धन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई (इटावा) में लगाया जा रहा है। नुकसान उठाने वाले किसानों की आर्थिक मदद सपना बनकर रह गयी है। दलित विशेषकर सरकारी कर्मचारियों का उत्पीडन हो रहा है। अत्यंत पिछडे, अल्पसंख्यक और गरीब भी इस सरकार से नाराज हैं।