लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने लखनऊ विश्व विद्यालय द्वारा फीस बढ़ोत्तरी को छात्रों के साथ अन्याय बताते हुये कहा है कि विश्व विद्यालय को घाटे से उबारने के लिए विश्व विद्यालय के कमजोर व गरीब वर्ग के छात्रों से उगाही करना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्व विद्यालय प्रशासन द्वारा विश्व विद्यालय में 42 करोड रूपये का घाटा दिखाते हुये परीक्षा शुल्क, पंजीकरण शुल्क और विकास शुल्क में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है जिससे कमजोर, गरीब, पिछडी और अनुसूचित जाति के उन छात्र/छात्राओं पर अतिरिक्त मार पडे़गी क्योंकि इन वर्गों के लोग मंहगाई की मार से पहले से ग्रस्त  और त्रस्त होकर किसी तरह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ऐसे में लखनऊ विश्व विद्यालय प्रशासन ने फीस बढाकर उनके उपर आर्थिक बोझ को और बढ़ा दिया है।

श्री दुबे ने लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रशासन के फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुये कहा कि लखनऊ विश्व विद्यालय के कुलपति का यह बयान कि विश्व विद्यालय को अनुदान प्राप्त होगा तो वे बढ़ाई गयी फीस वापस लेगे अन्यथा विश्व विद्यालय का घाटा पूरा करने के लिए फीस वृद्वि जारी रहेगी। उन्होंने कहा कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह का बयान शोभा नहीं देता अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे पर फोड़ना उचित नहीं होता और उनका फीस वृद्वि का फैसला यह चरितार्थ भी करता है। अच्छा तो यह होता कि कुलपति महोदय विश्व विद्यालय के घाटे को पूरा करने लिए कोई अन्य रास्ते तलाशते और उसके लिए छात्रों का आर्थिक उत्पीड़न न करते। 

दुबे ने प्रदेश  के मुख्यमंत्री से लखनऊ विश्व विद्यालय द्वारा किये गये इस अनीतिपूर्ण फैसले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुये कहा है कि वे तत्काल छात्र छात्राओं के हित में लखनऊ विश्व विद्यालय द्वारा किये गये तुगलकी निर्णय को वापस कराये और विश्व विद्यालय को अपना घाटा पूरा करने के लिए अन्य उचित कदम उठाने का निर्देश  दें।