लखनऊ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग)ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार द्वारा 2012-14 के दौरान विद्यार्थियों को वितरित करने के लिए लैपटाप और टैबलेट की खरीद में की गयीं अनेक अनियमितताओं और विसंगतियों को उजागर किया हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने टैबलेट खरीदने में धन की बर्बादी की जबकि लैपटाप की खरीद के लिए अतिरिक्त बजटीय प्रावधान किये गये। कैग ने इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर सरकार के खिलाफ अनेक कडी टिप्पणियां की हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में प्रावधान किये जाने और निविदाओं को अंतिम रूप देने के बावजूद दसवीं कक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों को टैबलेट नहीं दिये गये।

कैग की 31 मार्च 2014 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए सामान्य और सामाजिक क्षेत्र की रिपोर्ट पेश की गयी। कैग ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2012-14 के दौरान धन के अतिरिक्त प्रावधान किये, जिसमें से 2020.85 करोड रूपये खर्च नहीं किये गय,े जबकि 593.33 करोड़ रूपये निजी खाते में बगैर खर्च के पडे रह गये। इस योजना के लिए 5441.61 करोड रूपये मंजूर किये गये। जिसमें से 3420.76 करोड़ रूपये ही लैपटाप की खरीद में खर्च किये गये। रिपोर्ट में पर्याप्त बजटीय धन उपलब्ध होने के बावजूद दसवीं कक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों को टैबलेट न दिये जाने पर कडी टिप्पणी की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है 26.62 लाख टैबलेट खरीदने की प्रक्रिया में 60.05 लाख रूपये बर्बाद किये गये। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हालांकि दावा किया कि लैपटाप वितरण योजना में कोई अनियमितता नहीं की गयी है।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण अनुमानित 18.90 लाख विद्यार्थियों के बजाय 14.81 लाख विद्यार्थियों के ही लैपटाप खरीदे गये। इनमें से 14.35 लाख लैपटाप वितरित किये गये। इससे 4.55 लाख पात्र विद्यार्थियों को लैपटाप वितरण योजना का लाभ नहीं मिल सका। रिपोर्ट के अनुसार लैपटाप की गणना में चार जिलों (अलीगढ,आजमगढ,बिजनौर,मुरादाबाद) में 41 लाख रूपये की कीमत के 215 लैपटाप कम पाये गये। 

कैग ने योजना के तहत विद्यार्थियों की पहचान न किये जाने पर कड़ी आपत्ति की है। रिपोर्ट में विद्यार्थियों को वितरित नहीं किये गये 45,803 लैपटाप का उपयोग करने के तत्काल कदम उठाने का सुझाव दिया गया है। इसमें विद्यार्थियों को वितरित किये गये 14.35 लाख लैपटाप का उपयोग किये जाने की एक निगरानी तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया गया है, जिससे पता चल सके कि योजना का उद्देश्य पूरा हो रहा है या नहीं।