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हाशिमपुरा दंगा नहीं मुसलमानों का सुनियोजित कत्लेआम थाः महासभा

इंसाफ न मिलने तक संघर्ष जारी रहेंगा, सी0बी0आई0 से जांच कराने की मांग

लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा ने कहा है कि अंग्रेजों की बनाई हुई और उनके भारतीय दलालों द्वारा पाली-पोसी गई मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका बेनकाब हो चुकी है। आम आदमी के लिए इस देश में अब कही न्याय नही है। अगर ऐसा न होता तो हाशिमपुरा (मेरठ) दंगे के दोषी कभी बरी नही होते और निर्दोष जेलो नही सड़ रहे होते।

यहां जारी एक बयान में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा महासचिव शिव नारायण कुशवाहा ने हाशिमपुरा देगें के दोषियों की रिहाई पर मुसलमानों के तथाकथित मसीहा मुलायम सिंह यादव और अखिलेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुसलमानों के साथ किए गए चुनावी वादों में से एक भी वादा पूरा करने के बजाए अपनी सारी ताकत हाशिमपुरा देगें के दोषियों को बचाने में लगा दी। अखिलेश सरकार ने जानबूझकर दोषियों के खिलाफ कोई कारगर पैरवी नहीं की, उनके खिलाफ गवाह और सबूत जुटाने में जानबूझकर कोताही बरती गई। इससे साबित होता है कि कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी में कोई फर्क नहीं है।

नेता द्वय ने बताया कि 1987 में अंग्रेजों की उत्तराधिकारी प्रदेश की कांग्रेस सरकार के इशारे पर पी0ए0सी0 व पुलिस कार्मियों ने हाशिमपुरा के पचास बेकसूर मुसलमानों को रात दस बजे उनके घरों से उठाया और मुरादनगर नहर के किनारे उन्हें गोलियों से भून डाला। उनकी लाशों को नहर में तथा हिंडन नदी में ले जाकर फेंक दिया। जाहिर है कि यह दंगा नही बल्कि सत्ता द्वारा प्रायोजित मुसलमानों का कत्लेआम था।

दोनों नेताओं के अनुसार पचास में से आठ घायल तैरकर नदी से बाहर आ गए और जिंदा बच गए जो इस मुकद्में के चश्मदीद और मजबूत गवाह थे। बावजूद इसके दोषियों को इस बिना पर रिहा कर दिया गया कि ये आठ लोग रात के अंधेरे में मारने वालों को पहचान नहीं पाए। नेता द्वय के अनुसार मारने वाले प्राइवेट पार्टी नही बल्कि पी0ए0सी0 के कायर जवान थे जिनकी शिनाख्त करना कोई मुश्किल काम नही था लेकिन पी0ए0सी, पुलिस की हितैषी अखिलेश सरकार की लचर पैरवी की वजह से दोषी साफ बच निकले। मुकद्में का कछुआ गति से अट्ठाइस साल तक चलना भी कम दुर्भाग्यपूर्ण नही है।

महासभा ने हाशिमपुरा के सुनियोजित कत्ले आम की सी0बी0आई0 से जांच कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि हाशिमपुरा के दोषियों को जब तक सजा नहीं मिलेगी और मुसलमानों के साथ न्याय नही होगा तब तक महासभा संघर्ष करती रहेंगी। इस संबंध में महासभा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर उनसे न्याय की अपील करेंगी

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