नई दिल्ली: अल्पसंख्यकों को संपूर्ण सुरक्षा देने की वचनबद्धता व्यक्त करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को देश में होने वाले धर्मांतरण पर सवाल खड़े किए, और धर्मांतरण-रोधी कानून की ज़रूरत को लेकर बहस की वकालत की।

राज्य अल्पसंख्यक आयोगों की एक बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने यह भी कहा, “मैं जानना चाहता हूं कि क्या धर्मांतरण किए बिना लोगों की सेवा नहीं की जा सकती है…?”

राजनाथ सिंह ने कहा, “कभी-कभी ‘घर वापसी’ और धर्मांतरण को लेकर अफवाहें और विवाद खड़े होते रहते हैं… मैं पूछता हूं कि धर्मांतरण होना ही क्यों चाहिए…? दूसरे देशों में अल्पसंख्यक धर्मांतरण-रोधी कानून की मांग करते हैं, लेकिन हम हैं कि सिर्फ कहते रहते हैं कि धर्मांतरण-रोधी कानून होना चाहिए… उस पर बहस होनी चाहिए… हमें धर्मांतरण-रोधी कानून बनाने के बारे में सोचना ही होगा… मैं आप सबसे निवेदन करता हूं कि इस पर विचार करें…”

गृहमंत्री ने सभी राज्यों से भी आग्रह किया कि वे अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए हरसंभव कड़े कदम उठाएं, और कहा, “मैं सारे देश को बताना चाहता हूं कि भले ही कानून और व्यवस्था राज्य का मामला है, लेकिन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए मैं कुछ भी करूंगा… मैं परमात्मा की सौगंध खाकर कहता हूं कि इसके लिए मैं किसी भी हद तक जाऊंगा… अल्पसंख्यकों के मन में पल रही असुरक्षा की भावना को खत्म करने के लिए हर काम करूंगा…”