मेलबर्न। क्रिकेट के सबसे बड़े आयोजन वर्ल्ड कप के दौरान अब तक 4 खिलाड़ियों ने संन्यास का ऐलान कर दिया है। इत्तेफाक है कि चारों ही खिलाड़ी एशियाई टीमों के हैं। अफसोस की बात है कि इन सभी को हार के साथ क्रिकेट के इस फॉर्मेट को अलविदा कहना पड़ा।

वनडे क्रिकेट से संन्यास लेने के लिए इस फॉर्मेट के सबसे बड़े आयोजन वर्ल्ड कप से बेहतर कोई मौका नहीं हो सकता। श्रीलंका के जय-वीरू कहे जाने वाले कुमार संगाकारा और माहेला जयवर्धने ने जब क्रिकेट को अलविदा कहने के लिए वर्ल्ड कप का समय चुना तो आखिरी बार इस कप को हाथ लगाने कि हसरत जरूर होगी। हालांकि ये सपना साकार नहीं हो पाया, लेकिन जाते-जाते संगाकारा ने दिखा दिया कि स्टाइल और क्लास हो तो विदेशी मैदान या बढ़ती उम्र जैसी बहस बेमानी हो जाती है।

संगाकारा ने वर्ल्ड कप के 7 मैचों में लगातार 4 शतक के रिकॉर्ड बनाए। वर्ल्ड कप में उन्होंने 541 रन बनाए और क्वार्टरफाइनल तक टॉप स्कोरर रहे। 37 साल के संगाकारा का बल्ला वनडे में 404 मैचों में 14 हजार से ज्यादा रन बनाने के बाद रुका।

संगाकारा ने जहां वनडे क्रिकेट से संन्यास लिया तो वही माहेला जयवर्धने ने पूरी तरह से क्रिकेट को अलविदा कह दिया। हालांकि अपने आखिरी टूर्नामेंट में वो कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन श्रीलंकाई बल्लेबाज ने अपने देश के साथ ही वर्ल्ड क्रिकेट को जो दिया है उसे याद रखा जाएगा। जयवर्धने ने इस वर्ल्ड कप के 7 मैचों में 1 शतक के साथ 125 रन बनाए। 37 साल के जयवर्धने के नाम 448 वनडे मैचों में 12 हजार से ज्यादा रन हैं।

पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह उल हक ने भी वर्ल्ड कप से पहले ही ऐलान कर दिया था कि ये उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा। लेकिन शाहिद अफरीदी को लेकर सस्पेंस बरकार था। पर इसबार के संन्यास के बाद उनकी वापसी की संभावनाएं ना के बराबर है। 40 साल के मिस्बाह वर्ल्ड कप के 7 मैचों में 4 अर्धशतक समेत 350 रन बनाकर पाक टीम के टॉप स्कोरर रहे। वही करियर में मिस्बाह ने 162 वनडे में 5 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। अफरीदी का वर्ल्ड कप में प्रदर्शन बेहद ही औसत रहा। लेकिन अगर वनडे करियर देखें तो अफरीदी को बेहतरीन ऑलराउंडर में शुमार किया जाएगा। करीब 4 सौ वनडे खेल चुके अफरीदी ने 8 हजार से ज्यादा रन के साथ ही 395 विकेट भी लिए हैं।

हालांकि संन्यास लेने वाले दिग्गजों में फिलहाल कोई भारतीय क्रिकेटर नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि कैप्टन कूल धोनी का भी ये आखिरी वर्ल्ड कप होगा। उम्मीद यही है कि धोनी दूसरी बार कप उठाकर ही इस फॉर्मेट को अलविदा कहें।