नई दिल्ली। आधार कार्ड को कई सेवाओं के लिए अनिवार्य दस्तावेज के रूप में पेश करने की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने इस पर अपना रूख साफ किया है। केंद्रीय योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को संसद को बताया कि सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।

देश के हर नागरिक के लिए आधार कार्ड बनवाना जरूरी किए जाने के प्रस्ताव के प्रश्न का लोकसभा को दिए लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ऎसे किसी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है। सिहं ने बताया कि कई मंत्रालय, विभाग और केंद्रीय एजेंसियां विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चला रही हैं जिनमें लाभ और ज्यादा सेवाएं दी जा रही हैं। ऎसी योजनाओं में फर्जी आवेदन और लाभार्थियों की डुप्लीके सी ना हो और पारदर्शिता बनी रहे, इसलिए आधार कार्ड पेश करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका अर्थ यह नहीं है कि ऎसे लोगों को परेशान किया जाए जो पात्र तो हैं लेकिन उनके पास आधार कार्ड नहीं है। 

गौरतलब है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों से कहा था कि किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। 

कई राज्यों में वेतन, पीएफ, विवाह और सम्पति रजिस्ट्रेशन जैसे कामों के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। ऎसे राज्यों के इस निर्णय के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आई हैं जिन पर सुनवाई होना अभी बाकी है। देश के सभी नागरिकों को आधार नंबर उपलब्ध क रवाने और इनकी पहचान को प्रमाणित करने के तरीके के लिए 3 दिसम्बर 2010 को नेशनल आईडेंटिफिकेशन अॅथारिटी ऑफ इंडिया बिल (निदई बिल) 2010 राज्य सभा में पेश किया गया था। फिलहाल यह बिल राज्यसभा में विचार के लिए लंबित है।