नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्र और सभी राज्य सरकारों से कहा कि उन्हें इस आदेश का ‘पालन करना होगा’ कि भारतीय विशेष पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी आधार कार्ड के अभाव में किसी भी व्यक्ति को लाभों से वंचित या ‘परेशान’ नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘इस बीच, हमारे संज्ञान में लाया गया है कि विभिन्न प्राधिकार आधार पहचान पत्र के लिये दबाव डाल रहे हैं। हम किसी घटना विशेष का जिक्र नहीं कर रहे हैं। हम केन्द्र और राज्यों तथा सभी प्राधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे 23 सितंबर, 2013 के आदेश का पालन करेंगे।’ न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि कुछ प्राधिकारियों ने एक प्रपत्र जारी करके आधार को अनिवार्य बनाया है लेकिन इसके बावजूद किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से परेशानी नहीं होनी चाहिए।

मामले की सुनवाई शुरू होते ही एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद प्राधिकारी पट्टा विलेख और विवाह पंजीकरण आदि के मामलों में आधार कार्ड के लिये जोर दे रहे हैं और यह ‘गंभीर चिंता’ का विषय है। न्यायाधीशों ने कहा, ‘इस तरह की घटनायें हमारे संज्ञान में भी आयी हैं।’उन्होंने केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि उसके पहले के आदेश का प्राधिकारी पालन करे।

न्यायालय ने कहा कि इसके लिये आपके पास कोई बहाना नहीं है। सालिसीटर जनरल ने कहा कि केन्द्र सरकार सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बारे में पत्र लिखेगी। सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय से कहा कि सभी राज्य इस मामले में पक्षकार हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें न्यायिक आदेश पर अमल सुनिश्चित करने के लिये कहा जा सकता है और जिलाधिकारियों जैसे अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया जा सकता है। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि इस परिपत्र के अनुसार बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी प्राधिकारियों को आधार नंबर उपलब्ध कराने के लिये कहा गया था। हालांकि एक वकील ने कहा कि यह मुद्दा अब खत्म हो गया है।

न्यायालय वेतन, भविष्य निधि वितरण ओर विवाह तथा संपत्ति के पंजीकरा सहित अनेक मामलों में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाये जाने के कुछ राज्य सरकारों के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में न्यायालय अब जुलाई के दूसरे सप्ताह में आगे विचार करेगा। शीर्ष अदालत ने सुब्रमणियम से कहा कि वह निश्चित मामले का जिक्र करते हुये न्यायालय के आदेश के कथित उल्लंघन के लिये अंतरिम अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह का सामान्य आदेश उपयोगी नहीं होगा। हम आदेश पर अमल सुनिश्चित करने के लिये इस मामले विशेष पर गौर करेंगे। इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा और यदि किसी व्यक्ति के पास आधार नहीं है तो उसे सरकारी लाभों और गैस कनेक्शन, वाहन पंजीकरण ओर भविष्य निधि जैसी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा था कि अवैध विस्थापितों को आधार कार्ड जारी नहीं किये जायें क्योंकि इससे उनका प्रवास वैध हो जायेगा।