मेलबर्न: वर्ल्डकप के क्वॉर्टरफाइनल में पहुंची टीम बांग्लादेश की बॉडी लैंग्वेज को देख कर ये कहना मुश्किल लगता है कि इस टीम की गिनती छोटी टीमों में होती है। इंग्लैंड को हराने, और न्यूज़ीलैंड जैसे दावेदार को कड़ी टक्कर देने के बाद टीम के तेवर बदले हुए हैं। टीम ने मेलबर्न में क्वॉर्टरफाइनल से दो दिन पहले जमकर पसीना बहाया।

कोच चंदिका हथुरासिंघे भी इससे हैरान नहीं हैं। वो कहते हैं कि इसके पीछे मनोविज्ञान का बड़ा हाथ है। “हमारे स्पोर्ट्स साइकॉलोजिस्ट डॉक्टर फ़िल जोन्स की इसमें बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने खिलाड़ियों को सिखाया कि किस तरह मैदान पर निडर होकर बड़े फ़ैसले लिए जाते हैं। हम ड्रेसिंग रूम में आज़ादी का कल्चर बना रहे हैं।”

अच्छे कंडीशन्स का फ़ायदा उठाते हुए रुबेल हुसैन और तसकीन अहमद ने अपनी तेज़ गेंदबाज़ी से सभी विरोधियों को हैरान किया है। एमसीजी की ही पिच पर बांग्लादेश पहले श्रीलंका का सामना कर चुका है। हालांकि बांग्लादेश को एहसास है कि टीम इंडिया बैटिंग का पावरहाउस है।

कोच चंदिका हथुरासिंघे ने कहा “भारत एक बहुत ही अच्छी बैटिंग साइड है, टीम में वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी हैं। उनके तेज़ गेंदबाज़ उतने अच्छे नहीं हैं। हमारी नज़र इन्हीं चीज़ों पर है।”

बांग्लादेश के पास हिम्मत है, लेकिन अनुभव के मामले में भारतीय टीम का कोई सानी नहीं है।