लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भदोही का कालीन उद्योग लाखों परिवार के लिए रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है। राज्य सरकार ने इस उद्योग को प्रोत्साहित करने तथा कालीन के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भदोही में कारपेट बाजार स्थापित करने का फैसला लिया है। 

श्री यादव आज यहां अपने सरकारी आवास पर भदोही कारपेट बाजार के शिलान्यास कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कारपेट बाजार की स्थापना के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने बाजार की निर्माण एजेंसी-उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के प्रबन्ध निदेशक को दो साल से पहले परियोजना को हर हाल में पूरा किए जाने के निर्देश दिए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर आज दो महत्वपूर्ण कल्याणकारी परियोजनाओं की शुरूआत की गई है। इसके तहत अक्षयपात्र संस्था द्वारा लखनऊ के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन तैयार करने हेतु केन्द्रीकृत किचन का शुभारम्भ हुआ है। इसी क्रम में बुनकरों के हितों से जुड़ी भदोही कारपेट बाजार परियोजना की आधारशिला भी रखी जा रही है। 

श्री यादव ने कहा कि कारपेट बाजार की स्थापना से भदोही के निर्यातकों को सुविधा होगी, क्योंकि विदेशी खरीददारों को एक ही जगह पर विभिन्न प्रकार की कालीन देखने की सुविधा मिलेगी। विदेशी खरीददारों को अपना उत्पाद दिखाने के लिए भदोही के निर्यातकों को नोएडा ओर दिल्ली जैसे दूर-दराज के स्थानों पर नहीं जाना पड़ेगा। इसकी स्थापना हो जाने के बाद विदेशी खरीददारों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी और प्रदेश से कालीन निर्यात बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि निर्यातक खुशहाल होगा तो क्षेत्र के बुनकर भी खुशहाल होंगे। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार भदोही व इसके आस-पास के इलाकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय लोगों और कारोबारियों को आवागमन की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वहां सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत भदोही-सीतामड़ी मार्ग का निर्माण कराया गया। भदोही-मिर्जापुर मार्ग को आर0सी0सी0 से बनाया जाएगा। इसके अलावा भदोही-बाबतपुर मार्ग को चार लेन करने का फैसला भी लिया गया ताकि वाराणसी हवाई अड्डे से भदोही के बीच लोगों को अच्छी आवागमन सुविधा मिल सके। बाद में मुख्यमंत्री ने बटन दबाकर शिलापट्टिका का अनावरण किया।

स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने कहा कि कारपेट बाजार की स्थापना हो जाने पर क्षेत्र की कारोबारी गतिविधियों में इजाफा होगा, जिसका लाभ बुनकरों व निर्यातकों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछड़े इलाकों के विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। 

लघु उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  भगवत शरण गंगवार ने कहा कि कृषि के बाद आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा रोजी-रोटी के लिए लघु एवं कुटीर उद्योग पर निर्भर है। इस सेक्टर के महत्व को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सरकार ने विभाग के बजट में काफी वृद्धि की है ताकि अधिक से अधिक लोगों को विभागीय योजनाओं का लाभ मिल सके। 

मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने बताया कि वर्तमान में जनपद भदोही व इसके आस-पास के जिलों जैसे मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर आदि में बड़े पैमाने पर ऊनी कालीन एवं दरी की बुनाई की जाती है। इसे इंग्लैण्ड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी आदि तमाम देशों में निर्यात किया जाता है। इस क्षेत्र से कालीन का लगभग 5 हजार करोड़ रूपए का वार्षिक निर्यात होता है। उन्होंने बताया कि कारपेट बाजार परियोजना की लागत लगभग 150 करोड़ रूपए है। बाजार में प्रदर्शनी हाॅल, शाॅपिंग माॅल, म्यूजियम तथा छोटी दुकानें बनायी जाएंगी।

भदोही के विधायक जाहिद बेग ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कारपेट बाजार के तैयार हो जाने के बाद दिल्ली की तर्ज पर भदोही में भी कालीन व्यापार मेले आयोजित किए जा सकेंगे, जो स्थानीय निर्यातकों और व्यापारियों के लिए सुविधाजनक होगा। उन्होंने परियोजना के लिए स्थानीय जनता, बुनकर एवं निर्यातकों की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।