नई दिल्‍ली : 100 शतक, टेस्ट में 15921 रन, वनडे में 18426 रन, वनडे में दोहरा शतक और क्रिकेट में सैकड़ों रिकॉर्ड… इन सबके बावजूद सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट से कुछ और हासिल करने की ख़्वाहिश रह ही गई। एक मीडिया हाउस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बात करते हुए क्रिकेट से रिटायरमेंट ले चुके मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि उनकी कप्तानी की पारी लंबी नहीं हो सकी, इस बात का उन्हें बड़ा मलाल है।

क़रीब 24 साल के बेहद लंबे क्रिकेट करियर में सचिन तेंदुलकर को दो बार कप्तानी के मौक़े मिले। पहली बार वो 1996 में टीम के कप्तान बने लेकिन तब टीम इतना बुरा प्रदर्शन कर रही थी कि 1997 में उन्हें कप्तानी छोड़नी पड़ी।

सचिन कहते हैं कि 12-13 महीने के बाद ही 1997 में उन्हें कप्तानी छोड़नी पड़ी और मुझे इसे लेकर बेहद मायूसी हुई। उन्होंने अपनी कप्तानी की तुलना भारत के 2011 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे से की। उन्होंने कहा कि 2011 में हम इसलिए हारे क्योंकि हमने ज़्यादा रन नहीं बनाए और विपक्षी टीम ने हमारे ख़िलाफ़ खूब रन बटोरे।

वो कहते हैं कि उनकी कप्तानी के दौर में भी ऐसा ही हुआ। सचिन तेंदुलकर को कुल 25 टेस्ट में कप्तानी के मौक़े मिले। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने 4 टेस्ट जीते, 12 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे, 9 टेस्ट मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा।

सचिन की अगुआई में टीम इंडिया दिल्ली, अहमदाबाद और कानपुर में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ़्रीका और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ जीत हासिल कर पाई। जबकि टीम इंडिया को उस दौर में भारत के अलावा दक्षिण अफ़्रीका, वेस्ट इंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया के हाथों उन्हीं टीमों के हाथों हार का सामना करवना पड़ा।

वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के शानदार सफ़र को देखते हुए सचिन ने कहा कि जिस तरह टीम इंडिया खेल रही है ये वर्ल्ड कप का ख़िताब जीत जाएगी। सचिन कहते हैं कि टीम बैटिंग, बॉलिंग और फ़ील्डिंग में शानदार प्रदर्शन कर रही है। वो कहते हैं कि ऐसा कोई डिपार्टमेंट नहीं है जिसमें टीम इंडिया बुरा प्रदर्शन कर रही है।