नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र “ऑर्गनाइजर” में जम्मू एवं कश्मीर के हिस्से को पाकिस्तान का हिस्सा बताए जाने वाले मानचित्र को लेकर विपक्ष ने शुक्रवार को राज्यसभा में सरकार से सवाल किए। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब भी कोई कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताता है तो उसके विरोध में “आरएसएस-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की सरकार” सबसे आगे रहती है।

आजाद ने कहा, “जम्मू एवं कश्मीर भारत का ताज है। जब भी किसी पत्रिका ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर अथवा कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताया है तो उसके विरोध में सबसे आगे आरएसएस और भाजपा की सरकार ही रही है।” आजाद की “आरएसएस-भाजपा सरकार” वाली टिप्पणी को लेकर सत्तापक्ष ने विरोध जताया और कहा कि सरकार में कोई भी आरएसएस से संबंध रखने वाला व्यक्ति नहीं है।

इस पर आजाद ने कहा, “यदि सरकार की ओर से कोई भी आगे किसी परेड (आरएसएस की शाखा) में दिखता है तो उससे पूछें कि वह वहां पर क्यों हैं? आरएसएस के मुखपत्र “ऑर्गनाइजर” ने जम्मू एवं कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताया है।” इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सरकार का मत नहीं है। उन्होंने कहा, “जिस लेख की यहां पर बात हो रही है, हम उसकी जांच करेंगे। यह न तो सरकार का मत है और न ही संघ (आरएसएस) का।” इस मुद्दे पर भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी आरएसएस को निशाने पर लिया था। 

आरएसएस के मुखपत्र “ऑर्गनाइजर” के नए संस्करण में छपे एक नक्शे में जम्मू एवं कश्मीर के एक हिस्से को पाकिस्तान में दिखाया गया है। एक रपट के मुताबिक, पत्रिका के संपादक ने कहा कि यह मानचित्र दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ) की वेबसाइट से लिया गया है। भारतीय कानून के आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1961, के तहत गलत बाहरी सीमाओं को दिखाने वाले नक्शे का प्रकाशन एक संज्ञेय अपराध है। इसका दोषी पाए जाने पर तीन साल का कारावास अथवा जुर्माना या दोनों हो सकता है।