नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया केस पर आधारित बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडियाज डॉटर’ पर लगी रोक तत्काल हटाने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति बी.डी.अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की खंडपीठ ने डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर लगी रोक हटाने से संबंधित दो जनहित याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष 18 मार्च को सुनवाई के लिए पेश करते हुए यह आदेश दिया।

याचिकाओं में कोर्ट इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर लगी रोक हटाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था। पीठ ने इस पर किसी भी तरह का अंतरिम आदेश देने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली ‘रोस्टर बेंच’ के समक्ष आने दें।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसे डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पीठ ने ये भी कहा कि प्रथम द्रष्टया हम डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, पहले सर्वोच्च न्यायालय में फैसला होने दें।

पीठ ने कहा कि हम मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ नहीं हैं। मामले को उनके समक्ष आने दें, हम कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रहे हैं। यह डॉक्यूमेंट्री 23 वर्षीय छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर आधारित हैं। इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध उस वक्त होने लगा, जब घटना के एक दोषी और फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद मुकेश सिंह का साक्षात्कार इसमें लिए जाने की बात सामने आई।

बता दें कि डॉक्यूमेंट्री में दोषियों के वकील ए.पी.सिंह और एम.एल.शर्मा के भी बयान हैं, जिन्होंने महिलाओं के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। देश में कुछ वर्गो में इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर रोष था और सरकार ने बाद में सभी माध्यमों में इसके प्रसारण पर रोक लगा दी।

सरकार के वकील ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में पीड़िता और महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री पर रोक अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में डॉक्यूमेंट्री पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और दिल्ली पुलिस आयुक्त की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को गैरकानूनी करार देने का अनुरोध कोर्ट से किया गया है।