नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आश्वासन दिया कि राज्य के विकास में मदद देने में केंद्र कोई कसर बाकी नहीं रखेगा। लेकिन समझा जाता है कि केंद्र की ओर से राज्य की रिण माफी की ममता की अपील पर प्रधानमंत्री ने कोई वादा नहीं किया।

बनर्जी ने यहां मोदी से मुलाकात की और भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस पार्टी के बीच तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के साथ उनकी यह पहली मुलाकात थी। कर्ज के बोझ से दबे अपने राज्य के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की मांग के साथ बनर्जी ने पहले संसद भवन में मोदी से मुलाकात की और बाद में अपनी पार्टी के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ फिर से प्रधानमंत्री से मिलीं।

मनरेगा और आईसीडीएस जैसे योजनाओं के लिए लंबित कोष पर अपनी चिंता जाहिर करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व बढ़ाने में मोदी ने राज्य के वित्तीय प्रदर्शन की सराहना की और राजकोषीय संयम बनाए रखने में सहायता का आश्वासन दिया।

ममता ने संवाददाताओं को बताया, ‘ प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल का ऋण अन्य राज्यों की तुलना में अधिकतम है। लेकिन उन्होंने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए हमारे प्रयासों की सराहना की… उन्होंने हमारे प्रयासों को भी सराहा और उम्मीद जतायी कि वित्तीय स्थिति में आगे और सुधार होगा।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ प्रधानमंत्री ने कहा कि हम मदद की कोशिश करेंगे क्योंकि देश भी वित्तीय मोर्चे पर संकट का सामना कर रहा है। हम यह देखने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार राज्य की मदद की जा सकती है।’

तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने हालांकि बताया कि प्रधानमंत्री ने ऋण माफी के मुद्दे पर कोई वादा नहीं किया। बैठक में बनर्जी ने ऋण की समस्या को उठाया जिसके लिए उन्होंने कहा कि यह पिछली वाम सरकार की कार्रवाइयों का नतीजा है।

ममता ने कहा, ‘ आज , हमारे सभी पार्टी सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उससे पूर्व मैंने भी उनसे मुलाकात की। हमने उन्हें बंगाल की वित्तीय स्थिति से अवगत कराया। हम 2011 में सत्ता में आए थे और ऋण उससे पहले लिया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘ आरबीआई से करीब एक लाख करोड़ रूपये का ऋण लिया गया था। यह हमारी गलती नहीं है। ऋण हमने नहीं लिया बल्कि पिछली वाम सरकार ने लिया था।’