जम्मू/श्रीनगर: हुर्रियत के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई के चलते महज हफ्ते भर पुराने पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में तनाव दिख रहा है। भगवा पार्टी ने ‘एकतरफा’ फैसले की आलोचना की और चेतावनी दी है कि ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

बीजेपी ने कहा कि यह फैसला साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) के आधार पर नहीं है, जिस पर जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार चल रही है। लेकिन पीडीपी इस बात पर जोर दे रही है कि यह सीएमपी के अनुरूप ही है।

प्रदेश बीजेपी प्रमुख और सांसद जुगल किशोर शर्मा ने बताया कि यह फैसला करने से पहले उनकी पार्टी से विचार-विमर्श नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं की आज यहां बैठक हुई और उनकी पार्टी अपनी नाराजगी से पीडीपी नेतृत्व को अवगत कराएगी तथा उससे गठबंधन धर्म का पालन करने को कहेगी।

शर्मा ने कहा कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी पार्टी के फैसले को एकतरफा बताया है और पार्टी इससे काफी आहत हुई है। दरअसल, कट्टरपंथी अलगाववादी नेता की रिहाई से एक बड़ा विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि सईद ने आलम को रिहा करने का फैसला लेने से पहले अपने गठबंधन साझेदार बीजेपी को विश्वास में नहीं लिया।

उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘हमे उनकी रिहाई से पहले सूचना या जानकारी नहीं दी गई।’ उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे किसी बयान को या ऐसे किसी फैसले को बर्दाश्त नहीं करने जा रहे हैं जो साझा न्यूनतम कार्यक्रम के अनुरूप नहीं है, जिस पर हम सहमत हुए थे। हमने अपने साझेदार को अपनी नाराजगी जाहिर करने का फैसला किया है ताकि ऐसी चीजें भविष्य में न हों।’