नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ‘जोखिम मुक्त प्रमाणपत्र’ के विचार के खिलाफ है। वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने यह भी कहा है कि अभी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कोविड-19 से संक्रमण मुक्त हो चुके लोग, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वे सुरक्षित हैं और दूसरी बार उनके संक्रमित होने की संभावना नहीं है।

डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को कहा कि इस बारे में और अधिक शोध की जरूरत है। वैश्विक स्वास्थ्य संस्था ने कहा कि महामारी के दौरान अभी इस प्रमाणपत्र के कारगर होने के बारे में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जो लोग ऐसा मान रहे हैं कि दोबारा संक्रमित होने के खिलाफ उनके शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो गई है, वे जन स्वास्थ्य परामर्श की अनदेखी कर सकते हैं और इस तरह के प्रमाणपत्र वायरस का संक्रमण जारी रहने का खतरा बढ़ा सकता है। वैश्विक संस्था ने कहा कि एंटीबॉडी की जांच को और अधिक कारगर करने की जरूरत है, ताकि वह सटीक एवं विश्वसनीय हो।

वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने एक नई चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अभी दुनिया इस वायरस की चपेट में लंबे समय तक रहेगी, इतनी जल्दी से इससे छुटकारा मिलना मुश्किल है, जो देश ये सोच रहे हैं कि वो कोरोना वायरस के कहर से निपट चुके हैं और सबकुछ सामान्य कर रहे हैं उनको फिर से संकट का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अधिकांश देश इस महामारी के शुरूआती चरण में है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन देशों को ये लग रहा है कि उन्होंने कोरोना वायरस पर पूरी तरह से काबू पा लिया है वहीं पर ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। चीन के कुछ इलाके इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया लंबे समय तक रहेगी।