लखनऊ: आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने अपने जारी एक बयान में कहा कि रमज़ान शरीफ का महीना हमारे सामने हैं। इसलाम का फराइंज बगैर माने नहीं होता। जहां नमाज़ हमें अनुशासन, हज हमें एक दूसरे से जुड़ने व हज़रत इब्राहीम की सुन्नत, ज़कात साहबे माल की गरीबों की मदद बताता है। वही रोज़ा हमें भूख की शिद्दत यानि एक खाली पेट इंसान की कैफीयत क्या होती है, बताता है। चूंकि पूरी दुनिया में लाॅकडाउन है। लाॅकडाउन की मार मज़दूर, डेले वाले, कारपेन्टर यानि नीचे दर्जे वर्ग पर ज़्यादा पड़ी। वह शारीरिक रूप से न सही मगर आर्थिक रूप से ज़रूर पंगू हो गया। भरा पेट खाली पेट के एहसास को नहीं समझ सकता है। मगर जब हम रोज़ा रखेगें तो भूखा पेट का हमे अपने आप तर्जुबा हो जायेगा। जब हम गर्मी 16 घंटे के रोज़े में हमारी क्या हालत होती है ज़रा सोचें उस गरीब की क्या हालत होती होगी जो 24-72 घंटे तक भूखा रहता है। हमें चाहिए कि सबसे पहले अपनी ज़कात गरीब रिश्तेदारों व पड़ोसियों तक ईमानदारी से पहुंचाए। इसकी एक ज़िन्दा मिसाल हमारे सामने आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन ने लोगों की भागीदारी से ‘‘अशरफी किचन’’ के रूप में दी। जहां मिशन कई परिवारों को अपनाया। वही मिशन ने अब रमज़ान में अफ्तार व रात के खाने के साथ-साथ सहरी का भी इंतेज़ाम करने जा रहा है। साथ वह एक राशन किट भी लोगों को मुहैय्या करा रहा है। रोज़े की अहमियत पर हज़रत अली का एक कौल है कि मुझे वह रोजे़ ज्यादा पसंद है जिसका दिन लम्बा हो व शिद्दत की गर्मी हो। सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने लोगों से अपील की है कि वह रमज़ान में अपने घरों में ही रहकर अपने रब की ईबादत करें। गरीबों की ज़्यादा से ज़्यादा मदद करें। लाॅकडाउन को कामयाब करें। अपनी हिफाज़त करें, परिवार की करें और अपने प्यारे मुल्क हिन्दुस्तान की हिफाज़त करें। सेहतमंद समाज से ही सेहतमंद मुल्क की तामीर होती है। रमज़ान यह मौका आपको दे रहा है। हर घर में रब की ईबादत होगी, इंशाअल्लाह हर घर फैज़याब होगा।