नई दिल्ली: भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के जारी कहर के बीच चीन में इस बीमारी के शुरुआती दिनों को लेकर एक बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना के केस मिलने के शुरुआती 6 दिनों में शीर्ष चीनी अधिकारियों को अंदाजा लग गया था कि उनका सामना एक वैश्विक महामारी से होने जा रहा है।

इसके बावजूद उन्होंने इस बात को छिपा कर रखा। यही नहीं, बीमारी के केंद्र रहे वुहान शहर में हजारों लोगों के लिए एक बड़े भोज का आयोजन भी इस दौरान हुआ और साथ ही लाखों ने चीन में नए साल के समारोह के लिए यात्रा भी शुरू कर दी थी।

कोरोना संक्रमण मामले चीन में बढ़ने के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सातवें दिन, यानी 20 जनवरी को जनता को आगाह किया। न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस द्वारा हासिल किए गए कुछ दस्तावेजों के अनुसार प्राप्त आंतरिक दस्तावेजों और पूर्वव्यापी अनुमानों के आधार पर प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सातवें दिन, 20 जनवरी को जनता को आगाह किया था। हालांकि उस समय तक, लगभग 3000 लोग संक्रमित हो चुके थे। यह जानकारी इन दस्तावेजों पर कुछ विशेषज्ञों के अनुमान के बाद सामने आई है।

चीनी अधिकारियों द्वारा 14 जनवरी से 20 जनवरी तक की गलती इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें इस वायरस के प्रकोर को रोकने के लिए महीने भर से प्रयास कर रही हैं। दूसरी सरकारों ने भी इसके खतरनाक स्तर को समझने में गलती की लेकिन पहले चरण में चीन की लापरवाही से ये अब 20 लाख लोगों तक पहुंच गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्नियां में एपिडेमियोलॉजिस्ट जूओ-फेंग झांग के अनुसार, 'अगर उन्होंने (चीन) ने पहले एक्शन लिया होता तो मरीजों की संख्या बहुत कम होती और हमारे पास उचित मेडिकल संसाधन भी मौजूद रहते।'

दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रमुख मा शियाओवेई ने प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक गोपनीय आकलन 14 जनवरी को किया था। एक ज्ञापन (मेमो) में कहा गया है कि कोरोना वायरस पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग, प्रीमियर ली केकियांग और वाइस प्रीमियर सन चुनान से निर्देशों को हासिल करने के लिए टेलीकांफ्रेंस भी आयोजित की गई थी। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि वे निर्देश क्या थे।