नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि यदि भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाउन और अन्य कदम नहीं उठाये होते तो 15 अप्रैल तक देश में संक्रमण के मामले बढ़ कर 8.2 लाख तक पहुंच सकते थे। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रतिदिन के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश ने कोविड-19 के हॉटस्पॉट (कोरोना वायरस संक्रमण से अधिक प्रभावित क्षेत्र) की पहचान करने के लिये समय रहते कार्रवाई की और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये अन्य उपाय भी किये।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने मामलों की वृद्धि दर का विश्लेषण किया है। सांख्यिकी विश्लेषण के मुताबिक यदि लॉकडाउन या संक्रमण को फैलने से रोकने वाले अन्य उपाय नहीं किये जाते तो भारत में संक्रमण के मामलों में 41 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती, 11 अप्रैल तक कुल मामले बढ़ कर 2.08 लाख और 15 अप्रैल तक 8.2 लाख हो जाते।’’

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लागू नहीं करने और संक्रमण को फैलने से रोकने के अन्य कदम उठाए जाने की स्थिति में मामलों की संख्या 28.9 प्रतिशत की वृद्धि दर से 15 अप्रैल तक 1.2 लाख पहुंच जाती। अग्रवाल ने कहा कि सामाजिक मेलजोल से दूरी, लॉकडाउन और इलाकों को सील करने जैसी अन्य कोशिशें कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए जरूरी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हमने सामाजिक मेलजोल से दूरी रखने पर जोर दिया और 25 मार्च से लॉकडाउन के अलावा संक्रमण को फैलने से रोकने के अन्य उपाय अपनाये, इसलिए मामलों में कमी आई और अभी तक संक्रमण के 7,447 मामले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये स्थिति पर चर्चा करने के दिन अधिकारी ने यह टिप्पणी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और दो हफ्ते के लिये बढ़ाने पर राज्यों के के बीच सर्वसम्मति नजर आ रही है।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च को शुरू हुआ था और यह 14 अप्रैल तक के लिये लागू किया गया था। अग्रवाल ने महामारी से निपटने में भारत की तैयारियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिये 586 विशेष अस्पतालों को राज्य और केंद्र स्तर पर शुरू किया गया है। देश भर में एक लाख आइसोलेशन बेड और 11,500 गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) बिस्तर कारोना वायर से संक्रमित मरीजों के लिये रखे गये हैं। इस आंकड़े में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत सरकार की प्रतिक्रिया समय पूर्व, सक्रिय और पूरी तरह से तैयार रहने वाली रही है तथा हमने अपने क्रमिक रुख से उत्पन्न हो रही स्थिति के अनुरूप अपनी प्रतिक्रिया की। आयुष मंत्रालय ने श्वसन से जुड़े स्वास्थ्य और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर दिशानिर्देश तैयार किये हैं। जिलों को इसे जिला स्तर पर आकस्मिक योजना में शामिल करने को कहा गया है।’’