नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संकट के बीच पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे प्रदेश में ग्वालियर में 50 रेजिडेंट जूनियर डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे दिया है। ग्वालियर में गजराराजा मेडिकल कॉलेज में गुरुवार (9 अप्रैल) को डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा सौंपा है। ये सभी मेडिकल ऑफिसर्स थे, इन्हें एक अप्रैल को ही कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया था।

गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन एसएन आयंगर ने बताया कि सरकार के आदेश पर 92 डॉक्टर्स की इंटर्नशिप पूरी होने पर कोविड-19 में इमरजेंसी के लिए तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया था। इसी बीच राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से नया आदेश आया जिसमें कहा गया है कि जो डॉक्टर्स इच्छुक है वो सेवाएं दे सकते हैं। इस आदेश के बाद 50 डॉक्टर्स ने तत्काल इस्तीफा दे दिया है। बुधवार को सरकार ने एस्मा लागू किया है। अब कोई डॉक्टर इस्तीफा देगा तो वह मंजूर नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एमबीबीएस कोर्स और इंटर्नशिप पूरा होने के बाद चिकित्सा अधिकारी के रूप में सरकारी अस्पताल में एक साल की सेवा अनिवार्य है। इन डॉक्टरों को तीन महीने की अस्थायी अनुबंध नियुक्ति दी गई थी। अब जबकि इनमें से 32 डॉक्टर अभी भी काम कर रहे हैं। वर्तमान में कोरोना से पीड़ित मरीजों का इलाज जयारोग्य अस्पताल में किया जा रहा है और अधिकांश डॉक्टर कोरोना मामलों के लिए समर्पित हैं। डॉक्टरों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक बार जब उन्होंने नए अनुबंध को स्वीकार कर लिया, तो वे काम छोड़ नहीं पाएंगे। एस्मा एक बाधा हो सकती है। कोरोना के डर ने उन्हें पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया था।