नई दिल्ली: वोडा-आइडिया, एयरटेल और अन्य टेलिकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाना ही होगा। कोर्ट ने साफ कहा कि यह टैक्सपेयर्स का पैसा है और कंपनियों को इसे अदा करने को लेकर कोई राहत नहीं मिलने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है और कहा कि आगे किसी तरह की नई आपत्ति को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने दो टूक कहा कि अब बकाया रकम का दोबारा मूल्यांकन नहीं होगा और पहले दिए आदेश के मुताबिक ही कंपनियों को पेमेंट करना होगा। कोर्ट ने कहा कि एजीआर बकाये पर उसका फैसला अंतिम है, जिसका पालन होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में टेलिकॉम कंपनियों के एजीआर बकाये से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल से भी सवाल पूछा गया। पूछा गया कि कोर्ट की अनुमति के बगैर टेलिकॉम कंपनियों को स्व मूल्यांकन (बकाया राशि के सेल्फ असेसमेंट) की इजाजत कैसे दी गई। कोर्ट ने साफ कहा कि यह टैक्सपेयर्स का पैसा है, जिसका भुगतान 20 सालों से लटका हुआ है।

कोर्ट ने केन्द्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उसने एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को 20 साल का समय देने का अनुरोध किया था। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्तों के बाद होगी।

कोर्ट के इस आदेश के बाद वोडा आइडिया के शेयरों में करीब 35% के करीब की गिरावट देखने को मिली। कंपनी ने 16 मार्च को 3354 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया चुकाया था। डीओटी के मुताबिक कंपंनी पर कुल 53000 करोड़ का बकाया है, जिसमें से वह कुल 6854 करोड़ रुपये का पेमेंट कर चुकी है। टेलिकॉम कंपनियों की बात करें तो इनपर कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।