नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने आज संसद में पहली बार दिल्ली हिंसा पर बयान दिया। उन्होंने दंगों के पहले और बाद के हालात की विस्तार से जानकारी देते हुए विपक्ष के उन आरोपों का भी जवाब दिया जिसमें कहा गया था कि वह खुद हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में नहीं गए और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यक्रम में बैठे थे। शाह ने कहा, 'यहां कहा गया कि मैं ट्रंप के कार्यक्रम में बैठा था। वह कार्यक्रम मेरे क्षेत्र में हो रहा था, मैं वहां गया था लेकिन तब शांति थी। मैं शाम 6 बजे तक दिल्ली आ गया। उसके बाद दूसरे दिन राष्ट्रपति भवन पर ट्रंप की अगवानी हुई, लंच हुआ, डिनर हुआ लेकिन मैं नहीं गया। पूरे समय मैं दिल्ली पुलिस के साथ बैठकर दंगों को कंट्रोल करने पर काम कर रहा था।'

शाह ने कहा कि दिल्ली हिंसा को सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अंजाम दिया गया और इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी निर्दोष को तकलीफ नहीं होने दी जाएगी। लोकसभा में दिल्ली हिंसा पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने सबसे पहले दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि प्रकट की। शाह ने कहा कि रामलीला मैदान में हुई रैली में विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जनता को यह कहकर भड़काया कि आर-पार की लड़ाई का वक्त आ गया है। घरों से बाहर निकलिए। शाह ने पूछा कि क्या यह हेट स्पीच नहीं थी?

शाह ने कहा, ‘दंगों में जिनकी जान गई है उन सभी के लिए मैं दुख प्रकट करता हूं और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं।’ उन्होंने कहा कि 24 फरवरी की दोपहर 2 बजे हिंसा की पहली घटना की सूचना आई और 25 फरवरी को रात 11 बजे के बाद सांप्रदायिक हिंसा की कोई घटना नहीं घटी। हिंसा को रोकने में दिल्ली पुलिस की भूमिका की सराहना करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने हिंसा को पूरी दिल्ली में नहीं फैलने देने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुल 203 थाने हैं और हिंसा केवल 12 थाना क्षेत्रों तक सीमित रही। दिल्ली पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए शाह ने साफ कहा कि पुलिस की सबसे पहली जिम्मेदारी हिंसा को रोकने की थी। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे के आसपास हिंसा की घटना की पहली सूचना मिली और अंतिम सूचना 25 फरवरी 11 बजे मिली, यानी ज्यादा से ज्यादा 36 घंटे हिंसा चली।