नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यश बैंक को लेकर शनिवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यस बैंक की नाकामी भाजपा सरकार की निगरानी में वित्त संस्थानों के कुप्रबंधन का नतीजा है। साथ ही बैंक को संकट से उबारने के लिए एसबीआई की निवेश योजना पर भी सवाल उठाए।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि 2014 मार्च में लोन बुक की रकम 55 हजार करोड़ रुपये थी, जो मार्च 2019 में बढ़ कर 2 लाख करोड़ रुपये के पार हो गई। 2014 से 19 के बीच बैंक का लोन पांच गुना हो गया। आखिर मार्च 2014 के बाद नए कर्ज इसे बांटने की मंजूरी किसने दी। क्या आरबीआई और सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि यश बैंक लोन देने वाली होड़ में था? क्या आरबीआई और सरकार में किसी ने शेष हर साल के अंत में बैंक की बैलेंस शीट नहीं पढ़ी? जनवरी 2019 में सीईओ के स्थान पर एक नए सीईओ की नियुक्ति के बाद कुछ भी क्यों नहीं बदला गया? मई 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर को यस बैंक के बोर्ड में नियुक्त करने के बाद कुछ भी क्यों नहीं बदला गया? जब यस बैंक ने जनवरी-मार्च 2019 की पहली तिमाही में नुकसान की सूचना दी, तो खतरे की घंटी क्यों नहीं बजी?

कांग्रेस नेता ने यस बैंक को बचाने के लिए एसबीआई की वर्तमान स्कीम को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाए, जिसमें स्टेट बैंक 2450 करोड़ रुपये में 49 फीसदी शेयर खरीदेगा। यह अपने में विचित्र है कि जिस बैंक का नेटवर्थ शून्य है, उसका 49 फीसदी शेयर एसबीआई खरीद रहा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि इसकी जगह एसबीआई यशबैंक का टेकओवर करे और जमाकर्ताओं को यह सुनिश्चित किया जाए कि उनका एक-एक पैसा सुरक्षित है। साथ ही बैड लोन की रिकवरी शुरू की जाए।

चिदंबरम ने कहा कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को मापने का सबसे अच्छा जरिया है। कल सेंसेक्स में 884 अंक, एसबीआई शेयर की कीमत में 18, रुपये में 54 पैसे की गिरावट आई है। यश बैंक के शेयर की कीमत 36.80 से गिरकर 16.15 हो गई। वास्तव में यह बेकार है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा वित्तीय संस्थानों का कुप्रबंधन सार्वजनिक रहेगा और बड़े पैमाने पर बहस होगी। मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा कि यस बैंक का मुद्दा ज्यादातर लोगों तक पहुंच गया है, जो अर्थव्यवस्था और इसके संस्थानों के बारे में चिंतित हैं।