नई दिल्ली: मोदी सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाकर 8 लाखा सालाना से 11 लाख करने पर विचार कर रही है। सरकार ने सिफारिश की है कि ‘सैलरी’ को ‘ग्रॉस इनकम’ का ही हिस्सा माना जाना चाहिए। सैलरी को ‘ग्रॉस इनकम’ का हिस्सा मानने पर ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को सरकारी नौकरियों और एजुकेशन में मिलने वाले आरक्षण के लाभ पर असर पड़ सकता है।

सरकार की इस सिफारिश को अगर अमल में लाया जाता है तो नए नियम से कई लोग आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट ने एक एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों पर ही ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की गणना में वेतन के समावेश की सिफारिश की गई है।

अब यह सरकार के ऊपर है कि वह इन सिफारिशों को मानती है या नहीं। अगर किसी की सालान इनकम 11 लाख से ज्यादा है तो उसे ओबीसी क्रीमीलेयर के तहत आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा। बता दें कि क्रीमी लेयर टर्म का इस्तेमाल ओबीसी जातियों के उन व्यक्तियों के लिए होता है जो अपेक्षाकृत ज्यादा समृद्ध और पढ़े-लिखे हैं। मौजूदा समय में 8 लाख या इससे ज्यादा आय वाले ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को ‘क्रीमी लेयर’ में गिना जाता है। क्रीम लेयर पर 1993 के ऑफिस मेमोरेंडम के मुताबिक मौजूदा समय में ‘सैलरी’ और ‘एग्रीकल्चर इनकम’ को ‘ग्रॉस इनकम’ के दायरे से बाहर किया गया है।