सातवां वाजिदअली शाह फेस्टिवल लखनऊ में 23 फरवरी को

लखनऊ: लखनऊ मे कला की क़द्र पैदा करना ही हमारा मक़सद है| इसे पैदा करने से ही हम लोगों को यहाँ ला सकते हैं | यहाँ बाहर से आये लोग सिर्फ ऐतिहासिक इमारतें ही नहीं देखेंगे बल्कि वह लोगों के दिलों की धड़कनों को महसूस करेंगे, आपकी तहज़ीब को समझना चाहेंगे| लखनऊ क्या था क्या है और क्या रह गया है यही हमें बताना है | यह बातें मशहूर फिल्मकार, चित्रकार, गीतकार और समाजसेवी मुज़फ्फर अली ने आज पत्रकार में कही | वह सातवें वाजिद अली शाह फेस्टिवल के बारे में जानकारी दे रहे थे जो 23 फरवरी को लखनऊ के दिलकुशा गार्डन में आयोजित हो रहा है|

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और रुमी फाउंडेशन लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत 7 वें वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल की थीम इस बार "गोमती-1857 क्रांति का पहला सावन" है | इस थीम पर मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित एक मल्टी मीडिया नृत्य नाटक पेश की जाएगी| इस फेस्टिवल में इस बार विशेष आगमन मशहूर कथावाचक मुरारी बापू का होगा जो गंगा जमनी तहज़ीब पर बात करेंगे|

रूमी फाउंडेशन ने अभी तक छह संस्करणों में "गोमती" 2013 छतरमंजिल, "इंद्र सभा" 2015 रेजीडेंसी, "राधा कन्हैया का किस्सा" 2016 छत्तर मंजिल, "रंग" 2017 दिलकुशा पैलेस, "यमुना दरिया प्रेम का" 2018 दिलकुशा पैलेस, "गंगानामा" 2020 दिलकुशा पैलेस, की प्रस्तुति कर चूका है|