नई दिल्ली: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) ‘सांप्रदायिक एजेंडे’ हैं जिनके तहत देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी पहचान से वंचित करने व भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का प्रयास हो रहा है।

जमीयत की कार्यकारिणी की बैठक और अधिवेशन से पहले मदनी ने यह उम्मीद भी जताई कि सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय बेहतर और स्वीकार्य निर्णय देगा। उन्होंने कहा, ‘‘देश में राजनीतिक फायदे के लिए कुछ लोग अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच दीवार खड़ी करने का प्रयास कर रहे हैं।

इससे देश के हालात चिंताजनक हो रहे हैं।’’ मौलाना मदनी ने दावा किया, ‘‘एनआरसी, सीएए और एनपीआर सांप्रदायिक एजेंडे के तहत लाए गए हैं। इस एजेंडे के तहत भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी पहचान से वंचित करने का प्रयास हो रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकारिणी की बैठक और अधिवेशन में इन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही कई अन्य मसलों पर भी बातचीत होगी।’’