जमियत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कई हिस्सों में अब भी प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच, जमियत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से नागरिकता (संशोधन), कानून 2019 की संवैधानिकता और एनआरसी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को यानी 7 फरवरी को असम समझौते को प्रभावी रूप से लागू करने और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से इस याचिका पर जवाब भी मांगा था।

असम सामाजिक न्याय मंच की ओर से दी गई याचिका में असम समझौते, 1985 को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी और असम के मूल निवासियों की खास संस्कृति, विरासत और परंपराओं को सहेजने और बरकरार रखने की भी मांग की गई है। पीठ ने इसी के साथ नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ ही इस याचिका को भी शामिल कर दिया।

बताया जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन में अब लोग कम आ रहे हैं। चुनाव के बाद शाहीनबाग प्रदर्शनस्थल पर पहले के मुकाबले भीड़ कम हुई है। मंच से बार-बार ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए अब अपील की जा रही है। गुरुवार को भी मंच से लाउडस्पीकर पर लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां पहुंचने की अपील की जा रही थी।

वहीं, पुलवामा हमले की पहली बरसी को देखते हुए 14 और 15 फरवरी को शाहीनबाग में कोई राजनीतिक भाषण नहीं होगा। दोनों दिन यहां देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित होंगे।

प्रदर्शनस्थल पर वेलेंटाइन डे की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री के नाम से गुलदस्ते बनाकर रखे गए हैं। उन पर अंग्रेजी में लिखा है कि मोदी कृपया शाहीनबाग में आइए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दो माह से उनका प्रदर्शन चल रहा है। प्रधानमंत्री अपने चुनावी भाषणों में कई बार प्रदर्शन का जिक्र कर चुके हैं। तीन तलाक के मुद्दे पर भी उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अगर उन्हें उनकी चिंता है तो वह उनसे मिलने क्यों नहीं आते।